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जानें नरक चतुर्दशी के दिन क्या करना चाहिए, इस दिन भूलकर भी ना करें ये काम

By Astro panchang | Nov 05, 2020

दिवाली का पाँच दिन का पर्व जल्द ही शुरू होने वाला है।  दिवाली से एक दिन पहले यानि छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है।  नरक चौदस को नर्का पूजा और रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 13 नवंबर 2020 (शुक्रवार) को मनाया जाएगा। धार्मिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नाम के असुर का वध किया था। एक अन्य धार्मिक मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान करके यमराज की पूजा और संध्या के समय दीप दान करने से नर्क की यातनाओं से मुक्ति मिलती है और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि नरक चतुर्दशी के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए - 

नरक चतुर्दशी के दिन ये काम करने से मिलता है शुभ फल 
शास्त्रों के अनुसार स्वच्छ और पवित्र जगहों पर ही माँ लक्ष्मी का वास होता है इसलिए नरक चतुर्दशी के दिन घर की साफ-सफाई करनी चाहिए।  वहीं, घर में पड़े टूटे-फूटे और पुराने सामान को नरक का प्रतीक माना जाता है इसलिए इस दिन घर पर पड़ा कबाड़ और टूटे-फूटे बर्तन आदि चीज़ों को घर से बाहर निकाल देना चाहिए।  
 
नरक चतुर्दशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर तिल के तेल से शरीर की मालिश करनी चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से सौंदर्य बढ़ता है।  

इस दिन नहाने के बाद साफ वस्त्र धारण करके और माथे पर तिलक लगाकर दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके पूजा करनी चाहिए। नरक चतुर्दशी के दिन भगवान कृष्ण और हनुमान जी की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।  मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवन कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था इसलिए इस दिन भगवन श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है।  यह भी माना जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन रामभक्त हनुमान का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन विशेष रूप से हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए।   

इस दिन यमराज को प्रसन्न करने के लिए भी पूजा की जाती है।  नरक चतुर्दशी के दिन एक पात्र में तिल वाला जल भरें और दक्षिण दिशा की तरफ मुँह करके यमराज का तर्पण करें।

नरक चौदस के दिन तिल के तेल में 14 दीपक जलाने की परंपरा है। इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्‍नान करने के बाद घर के बाहर नाली के पास तिल के तेल का दिया जलाना चाहिए। नरक चतुर्दशी को शाम को दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके चौमुखा दीपक जलाना चाहिए।  
 

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नरक चतुर्दशी के दिन भूलकर भी ना करें ये काम 
नरक चतुर्दशी के दिन भूलकर भी किसी भी जीव को न मारें। इस दिन यमराज की पूजा की जाती है और यदि इस दिन आप किसी जीव की हत्या करते हैं तो यमराज क्रोधित हो जाते हैं। 

नरक चतुर्दशी के दिन भूलकर भी दक्षिण दिशा को गंदा न रखें। ऐसा करने से आपको यमराज का आर्शीवाद प्राप्त नही होगा और इससे आपके पितर भी नाराज हो जाएंगे।

नरक चतुर्दशी के दिन जिन लोगों के पिता जीवित हैं उन्हें भूलकर भी तिल से यम देव का तर्पण नहीं करना चाहिए।  

नरक चतुर्दशी के दिन तेल का दान नहीं करना चाहिए।  ऐसा करने से माँ लक्ष्मी आपके घर से नाराज होकर चली जाएंगी।

नरक चतुर्दशी के दिन भूलकर भी मांसाहार और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा और आपको नर्क की यातनाएं भोगनी पड़ेगी।

नरक चतुर्दशी के दिन भूलकर भी झाड़ू को पैर ना मारें और ना ही झाड़ू को खड़ा करके रखें। ऐसा करने से माँ लक्ष्मी का अपमान होता है और लक्ष्मी नाराज होकर घर से चली जाती हैं।
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