धर्म

धर्म चाहे जो भी हो सभी में जीवन पर सच्ची राह पर चलने और मानवता की रक्षा करने की बात कही गयी है। देखा जाये तो सरकारी तौर पर धर्म के दो महत्वपूर्ण आयाम हैं। पहला- संस्कृति और दूसरा- अध्यात्म। हर धर्म की अपनी अलग संस्कृति और विशेषताएँ हैं साथ ही पूजा पद्धति भी अलग-अलग हैं। धर्म चाहे कोई भी हो लेकिन हर जगह कर्म को ही प्रधान माना गया है। सच्चा कर्म करना, दूसरों के जीवन में उजाला लाना और समाज को सही राह दिखाना हर धर्म का मर्म है। हर धर्म में उसके पथ-प्रदर्शकों द्वारा जीवन निर्वाह का मार्ग सुझाया गया है जोकि समाज को शुरू से ही एक निश्चित पथ पर चलना सिखाता है। इस सेक्शन में सभी देवी-देवताओं की आरती एवं चालीसा के साथ-साथ सिद्ध मंत्रो और व्रत कथाओं के बारे में भी पूरी जानकारी दी गई है।