हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य देव की उपासना करने से त्रिदेवों की आराधना का फल प्राप्त होता है। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति कहते हैं। सूर्य देव के मकर राशि में आने के साथ ही खरमास समाप्त हो जाता है और मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश आदि शुरू हो जाते हैं। मकर संक्रांति को भगवान सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी (गुरुवार) को मनाया जाएगा। इस बार मकर संक्रांति पर विशेष योग बन रहा है। इस साल मकर संक्रांति पर पांच ग्रह एक साथ होंगे, जिससे इस त्यौहार का महत्व और अधिक बढ़ जाएगा।
धार्मिक मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति भगवान सूर्य का प्रिय पर्व है। इस दिन सूर्य देव की उपासना से ज्ञान-विज्ञान, विद्वता, यश, सम्मान और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सूर्य को सभी ग्रहों का सेनापति माना जाता है। ऐसे में सूर्य की उपासना करने से समस्त ग्रहों का दुष्प्रभाव समाप्त होता है।
मकर संक्रांति 2021 का समय
14 जनवरी को सूर्य देव सुबह 08 बजकर 30 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस दिन मकर संक्रान्ति का पुण्य काल शाम को 05 बजकर 46 मिनट तक, कुल 09 घण्टे 16 मिनट का है। वहीं, मकर संक्रान्ति का महापुण्य काल 01 घंटा 45 मिनट का है, जो सुबह 08 बजकर 30 मिनट से दिन में 10 बजकर 15 मिनट तक है।
मकर संक्रांति के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व
मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन सूर्य देव को लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, मसूर दाल, तांबा, सोना, सुपारी, लाल फूल, नारियल, दक्षिणा करने से सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का दान करने से घर में सुख-शांति आती है। इस दिन गुड़ और तिल दान करने से कुंडली में सूर्य और शनि की स्थिति से शांति मिलती है। इस दिन तांबे के बर्तन में काले तिल को भरकर किसी गरीब को दान करने से शनि की साढ़े साती में लाभ होता है। मकर संक्रांति के दिन नमक का दान करने से भी शुभ लाभ होता है। मान्यता के अनुसार इस दिन गाय के दूध से बने घी का दान करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।