अपने व्यापार में हर व्यक्ति अधिक से अधिक मुनाफा पाना चाहता है। लेकिन कई बार लाख प्रयासों के बाद भी व्यापार में लगातार घाटा, ऑफिस में नकारात्मक माहौल जैसी समस्याएं और ग्राहकों की कमी का सामना करना पड़ता है। हालांकि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, इनमें से एक कारण आपके कार्यस्थल का वास्तु दोष भी हो सकता है। वास्तु शास्त्र ऊर्जा पर आधारित एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है, जिसके मुताबिक हमारे आसपास की ऊर्जा हमारी सफलता और प्रगति की सीधे तौर पर प्रभावित करती है।
अगर आपके दुकान, ऑफिस या फैक्ट्री का वास्तु सही है, तो यह धन सकारात्मक ऊर्जा और नए अवसरों को आकर्षित करता है। वहीं वास्तु दोष में तरक्की में बाधाएं पैदा कर सकता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको कुछ ऐसे सरल और अचूक वास्तु उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनको अपनाकर आप भी अपने बिजनेस को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं।
ऑनर के बैठने की दिशा
व्यापार में सफलता पाने के लिए मालिक या मुखिया के बैठने का स्थान सबसे अहम होता है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक मालिक अपने ऑफिस के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में बैठना चाहिए। वहीं बैठते समय मुखिया का मुख उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए। यह दिशा नेतृत्व क्षमता स्थिरता और सही निर्णय लेने की शक्ति को बढ़ाती है। इससे व्यापार पर मजबूत नियंत्रण होता है।
मुख्य द्वार और स्वागत कक्ष
दुकान या ऑफिस का मुख्य द्वार ऊर्जा के प्रवेश का स्थान होता है। इसलिए इस स्थान को हमेशा साफ-सुथरा, अच्छी रोशनी वाला और आकर्षक होना चाहिए। मुख्य द्वार के लिए पूर्व, उत्तर या उत्तर पूर्व दिशा को सबसे शुभ माना जाता है। यहां से सकारात्मक ऊर्जा और ग्राहक आकर्षित होते हैं। वहीं स्वागत कक्ष भी आकर्षक और व्यवस्थित होना चाहिए।
कैश लॉकर या तिजोरी
धन को आकर्षित करने के लिए तिजोरी या कैश लॉकर को सही दिशा में रखें। अपनी तिजोरी को कमरे के दक्षिण या दक्षिण पश्चिम की दीवार पर इस तरह से सटाकर रखें कि उसका दरवाजा कुबेर की दिशा यानी की उत्तर दिशा की तरफ खुले। ऐसा करने से धन में वृद्धि होती है और अनावश्यक खर्चों पर भी रोक लगती है।
कार्यस्थल से जुड़ी अन्य बातें
ऑफिस या दुकान के मध्य भाग को ब्रह्मस्थान कहा जाता है। इसको हमेशा खाली और साफ रखना चाहिए। कार्यस्थल पर पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था करें और किसी भी तरह के कबाड़ या फिर टूटे-फूटे सामान को फौरन हटा दें। व्यापार में धन के प्रवाह को बेहतर बनाने के लिए उत्तर-पूर्व दिशा में एक छोटा सा पानी का फव्वारा रखना शुभ माना जाता है।