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घर के लिविंग रूम में इन वास्तु और दिशाओं का रखें ध्यान

By Astro panchang | Aug 18, 2020

बैठक रूम को स्वागत कक्ष, ड्राइंग रूम या लिविंग रूम कहते हैं जबकि जहां मेहमान को ठहराया जाता है उसे अतिथि कक्ष या गेस्ट रूम कहते हैं। हमारे बैठक रूम से ही हमारी पहचान बनती है। बैठक रूम हमारी हैसियत, व्यक्तित्व और विचारों को दर्शाता है। बैठक रूम परिवारों के लिए एकजुट होने का स्थान है, जहां वे दिनभर की थकान के बाद कुछ समय एकसाथ बिताना पसंद करते है। यहीं बैठकर वे वार्ता या गपशप करते हैं। यहीं बैठकर टीवी देखते हैं या कि भावी योजनाओं पर विचार-विमर्श करते है। जब कोई मेहमान आता है तो उसको इसी रूम में बैठाया जाता है। बैठक रूम वास्तु के अनुसार होने से कई तरह की परेशानियों से बचा जा सकता है। हर घर में बैठक कमरा महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है।चाहे मेहमानों के साथ मनोरंजन कर रहे हों या परिवार के साथ समय बिता रहे हों। इसे अच्छी तरह से सजाकर आरामदायक बनाने से सुखद वार्तालापों के लिए अनुकूल परिवेश बनेगा और कमरे को सकारात्मक ऊर्जा से भरने से परिवार के सदस्यों और मेहमानों को भी अच्छा लगेगा। कोई माने या न माने, वास्तु शास्त्र घर में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करता है ताकि इसे सामाजिककरण के लिए एक बेहतरीन स्थान बनाया जा सके। 

ये है 10 वास्तु टिप्स

1.रूम की प्रकाश व्यवस्था

उज्ज्वल कमरे सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करते है। इसीलिए घर के हर हिस्से से अंधकार को दूर रखने का इंतज़ाम होना चाहिए। अपने घर के हर हिस्से और अलग-अलग कोनों को प्रकाश के साथ डिज़ाइन करें जिससे पूरे दिन-रात हर तरफ जगमगाहट फैली रही। कमरे में एक आरामदायक खिंचाव लाने के लिए सुखदायक चमक के बल्ब चुनें।

2.बैठक रूम में किस दिशा में क्या हो

बैठक रूम का दरवाजा ईशान या उत्तर में है तो उत्तम, पूर्व, पश्‍चिम या वायव्य में है तो मध्यम और अन्य दिशा में है तो निम्नतम माना गया है। खिड़कियों को बैठक रूम के पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए क्योंकि ये दिशाएं बहुत लाभकारी हैं। टेलीविजन बैठक रूम के दक्षिण-पूर्व दिशा में रखा जाना चाहिए। एयरकंडीशनर और एयर कूलर बैठक रूम के पश्चिम या उत्तरी दीवार की ओर रखा जाना चाहिए। उत्तर या ईशान दिशा में पानी का फव्वारा, मछलीघर या फ्लॉवर पॉट रख सकते हैं। हालांकि आप सिर्फ जल के घड़े में स्थापना करके भी इस दिशा को उत्तम बना सकते हैं।

3.रूम का रंग रोगन और सजावट

दीवारों और टाइल का रंग सफेद, हल्के पीले, हल्के नीले या हरे रंग का होना चाहिए। दीवारों का रंग लाल, गहरा नीला या काले रंग का नहीं होना चाहिए। बैठक रूम में खिड़की और दरवाजे के पर्दे मिलते-जुलते रंगों का ही प्रयोग करें। सोफा सेट के कुशन थोड़े अलग रंग के रखें। वैसे चंद्र, गुरु, बुध और शुक्र के रंगों का ही प्रयोग करेंगे तो ज्यादा अच्छा होगा।

4.रूम का फर्नीचर

फर्नीचर पश्चिम या दक्षिण दिशा में रखना चाहिए। भारी फर्नीचर जैसे शोकेस या भारी अलमारी आदि को बैठक रूम के दक्षिण और पश्चिम दीवारों की ओर रखा जाना चाहिए। नाश्ता आदि के लिए टी-टेबल वर्गाकार अथवा आयताकार होनी चाहिए। टी-टेबल पर कॉफी कलर का कांच प्रयोग कर सकते हैं। फर्नीचर लकड़ी  का ही होना चाहिए। लकड़ी में भी शीशम, सागवान या आम की ही होना चाहिए। बबूल की लकड़ी का उपयोग न करें। आप बांस के फर्नीचर का प्रयोग भी कर सकते है।

5.बैठक रूम में परिवार के मुखिया की बैठक कहां हो

पहली बात मेहमान कक्ष में बैठने की व्यवस्था इस प्रकार से करें कि मेहमान से बात करते समय परिवार के मुखिया का चेहरा उत्तर-पूर्व या ईशान-कोण में रहे। परिवार के मुखिया को हमेशा दक्षिण-पश्चिमी कोने में बैठना चाहिए और उसका चेहरा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। दूसरी बात बैठक रूप में बैठते वक्त मुखिया का मुख या चेहरा दक्षिण की ओर होना चाहिए यदि ऐसा नहीं है तो मेहमान आप पर हावी रहेगा और आप मेहमान के समक्ष समर्पण की मुद्रा में ही रहेंगे। तीसरी बात मेहमान के लिए बैठने की व्यवस्था दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम कोने में होनी चाहिए और उसका चेहरा पश्चिम या दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।

6.बैठक रूम के चित्र

बैठक रूम में कभी भी नकारात्मक चित्र न लगाएं, जैसे ताजमहल, महाभारत या किसी कांटेदार पौधे का चित्र। जंगली जानवर, रोते हुए बच्चे, नंगे बच्चे, युद्ध के दृश्य, भगवान व पेड़ आदि के चित्र भी न लगाएं। बैठक रूम में हंस की बड़ी-सी तस्वीर लगाएं जिससे कि अपार धन-समृद्धि की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। इसके अलावा कहीं किसी कोने में धन के ढेर का एक छोटा-सा चित्र भी लगा सकते हैं।

7.बैठक रूम की दिशा

मकान किसी भी दिशा में हो, बैठक रूम तो मकान के भीतर दाखिल होते ही होता है। यदि मकान पूर्व या उत्तरमुखी है तो बैठक रूम को पूर्वोत्तर दिशा अर्थात ईशान कोण में होना चाहिए। यदि मकान पश्चिममुखी है तो बैठक रूम को उत्तर-पश्चिम दिशा अर्थात वायव्य कोण में होना चाहिए। यदि मकान दक्षिणामुखी है तो बैठक रूम को दक्षिण-पूर्व दिशा अर्थात आग्नेय कोण में होना चाहिए।

8.रूम का वातावरण

मौसम के हिसाब से बैठक रूम ठंडा या गर्म रहना चाहिए। यदि आप ठंडे क्षेत्रों में रहते हैं और अपने बैठक कक्ष में एक आतिशदान स्थापित करना चाहते हैं तो दक्षिण-पूर्व दिशा चुनना अच्छा है।

9.रूम में रोशनी का झूमर

अधिकांश भारतीय घरों में एक झूमर सामान्य विशेषता है जो निस्संदेह घर में सौंदर्य जोड़ता है। पर ये ध्यान रखें की यह कमरे के बीच में न लगा हो। इसके बजाय इसे बैठक के दक्षिण या पश्चिम की ओर लटकाएं और कमरे को रौशनी से भर दें।

10.रूम की अन्य बातें

कभी भी बैठक रूम में भारी लोहे का सामान नहीं रखना चाहिए अन्यथा अतिथि को लगेगा कि उसे बोझ समझा जा रहा है। इस अवस्था में मेहमान तनाव महसूस कर सकता है।

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