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वास्तु शास्त्र के अनुसार अंगूठी पहनने में भी सतर्कता है जरूरी, जानिए कौन सी अंगूठियां चमका सकती हैं किस्मत

By Astro panchang | Jun 09, 2020

वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा माना गया है कि सभी रत्नों व धातुओं की अंगूठियां पहनने के लिए भी कई तरह के नियम व सावधानियां बरतनी जरूरी होती हैं। अंगूठी धारण करने के पहले यदि वास्तु शास्त्र के अनुसार बताए गए नियमों का पालन नहीं होता तो जातकों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस लेख के माध्यम से हम आपको अंगूठी पहनने के सारे नियम और कौन-सी अंगूठी पहनने पर बेहतर परिणाम मिलेंगे इसकी सारी जानकारी देने जा रहे हैं। 

जीवन में आने वाली कठिनाइयों के लिए अथवा किसी भी प्रकार की अन्य समस्याओं के लिए वास्तु के अनुसार रत्न धारण करने की परंपरा पुराने समय से ही रही है। ठीक उसी प्रकार हथेली की उंगलियों में अलग-अलग आकृति वाली अंगूठी धारण करने का चलन भी रहा है। तो चलिए जानते हैं किस आकृति की कौन सी अंगूठी आपके लिए लाभदायक होगी या नुकसानदायक होगी।

मशहूर है कछुआ वाली अंगूठी
अक्सर अधिकांश लोगों के हाथों में कछुए के आकार की अंगूठी किसी न किसी उंगली में देखने को जरूर मिल जाती है लेकिन इसके पीछे का क्या राज है यह जानना भी बेहद जरूरी है। कैटरी वाली अंगूठी अलग-अलग धातुओं के अनुसार धारण की जाती है जिससे वास्तु दोष समाप्त होता है। 

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कछुआ धन व संपदा का प्रदायक व सकारात्मक सोच और उन्नति के मार्ग को प्रशस्त करने वाला माना गया है। कथा एवं किंवदंतियों के अनुसार कछुआ भगवान विष्णु का भी अवतार माना जाता है, जिस कारण सृष्टि के पालनहार का रूप होने के नाते कछुए को अत्यंत शुभ माना जाता है और कछुए वाली अंगूठी हथेली की उंगलियों में धारण की जाती है। लेकिन वास्तु के अनुसार जिन नियमों को बनाया गया है उसमें कुछ राशि के जातकों को कछुए की अंगूठी भूलकर भी नहीं पहननी चाहिए। मेष, कन्या, वृश्चिक और मीन राशि वाले जातकों को कछुए की अंगूठी पहनने की मनाही होती है।

नवग्रहों युक्त अंगूठी पहनने के फायदे और नुकसान
सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि नवग्रह क्या होते हैं? नवग्रह संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ होता है, पकड़ना या कब्जे में करना, यह नवग्रह यानी मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, सूर्य और चंद्रमा के साथ आकाश सभी एक ही अंगूठी में समाहित कर रत्न के रूप में हथेली की उंगलियों में पहनने के कई लाभ बताए गए हैं। ऐसा माना जाता है कि मानसिक पीड़ा को दूर कर शांत मन प्रदान करने वाली, सुख एवं समृद्धि बढ़ाने वाली एवं एक सुदृढ़ सेहत प्रदान करने में नवग्रहों वाली अंगूठी पारंगत होती है। जिस कारण इसे धारण किया जाता है। यह नवग्रहों वाली अंगूठी नकारात्मकता को जड़ से खत्म कर सकती है।

काले घोड़े की नाल से बनी अंगूठी
मान्यताओं के अनुसार अगर किसी पर शनिदेव मेहरबान हो तो अच्छी बात है, लेकिन किसी भी जातक पर शनि देवता का प्रकोप पड़ जाए तो उसकी जिंदगी तहस-नहस हो जाती है। ऐसे में शनिदेव को खुश करने और शनि देवता की कृपा बराबर बनी रहे इसके लिए काले घोड़े की नाल से बनी अंगूठी को पहना जाता है, जो शनि दोष के प्रभावों को निष्क्रिय कर देती है।

तांबे की धातु से बनी अंगूठी
सूर्य ग्रह को मजबूत बनाने के लिए तांबे की धातु की अंगूठी पहनी जाती है। सामाजिक परिवेश में मान सम्मान व प्रतिष्ठा हासिल करने की इच्छा जिन जातकों में होती है उन्हें तांबे की धातु से बनी अंगूठी धारण करनी चाहिए।

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