भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्री पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव और राक्षस भीम के बीच हुए युद्ध और भगवान शंकर के वहां पर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित होने की कथा से जुड़ा है। पौराणिक कथा के मुताबिक दशानन रावण के भाई कुंभकर्ण का पुत्र भीम अत्याचारी था। वह भगवान श्रीराम से अपने पिता की मृत्यु का बदला लेना चाहता था।
जिस कारण उसने ब्रह्माजी की कठोर तपस्या की और उनसे कई वरदान प्राप्त किए। भीम ने अजेय होकर राजा सुदक्षिण को बंदी बना लिया। तब राजा ने पार्थिव शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की तपस्या की। ऐसे में जब भीम राजा को मारने के लिए पहुंचा, तो भगवान शिव ने प्रकट होकर भीम का वध कर दिया और देवताओं ने उस स्थान पर भगवान शिव से ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास करने का अनुरोध किया था। इसके बाद से यह जगह भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाने लगा।
मोटेश्वर महादेव
इस मंदिर के पास भीमा नदी बहती है। पौराणिक कथा के मुताबिक त्रेता युग में भगवान शिव और त्रिपुरापुर राक्षस के बीच भयंकर युद्ध हुआ था। इस दौरान यहां पर अधिक गर्मी उत्पन्न हुई कि भीमा नदी सूख गई। बताया जाता है कि भगवान शिव के पसीने से इस नदी में फिर से पानी आया था।
यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव की शक्ति और उनके भक्तों के प्रति करुणा का प्रतीक मानी जाती है। यह ज्योतिर्लिंग इस बात का प्रतीक है कि भगवान शिव अपने सच्चे भक्तों की रक्षा और सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। इस ज्योतिर्लिंग का आकार बड़ा और मोटा है। जिस कारण भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।
ऐसे पहुंचे यहां
ज्योतिर्लिंग के पास भीमाशंकर गुफा है, जो पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है। यह जगह वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र भी है और यहां विभिन्न प्रजातियों के वन्यजीवों की रक्षा की जाती है। यहां जाने के लिए आपको पुणे शहर तक पहुंचना होगा। यह देश के सभी बड़े शहरों से हवाई, सड़क और रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है।
पुणे से करीब 120 किमी दूर स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पहुंचने के लिए आप निजी वाहन, बस और टैक्सी से जा सकते हैं। पुणे से सुबह 05:30 शाम को 04:00 बजे तक नियमित तौर भीमाशंकर के लिए बस की सुविधा मिलती है।