अक्सर लोग जलाभिषेक और रुद्राभिषेक को एक ही समझ लेते हैं। शिवलिंग पर लोग जल चढ़ाने के लिए जाते हैं, लेकिन कहते हैं कि रुद्राभिषेक करने जा रहे हैं। जबकि जलाभिषेक और रुद्राभिषेक में बहुत अंतर होता है। शिव मंदिर में भोलेनाथ के भक्तों की लंबी लाइन लगी रहती है। ऐसे में अगर आप भी जलाभिषेक और रुद्राभिषेक को एक ही समझते हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए है, क्योंकि आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि जलाभिषेक और रुद्राभिषेक में क्या अंतर होता है।
जानिए क्या है जलाभिषेक
सावन के महीने में भगवान शिव की शिवालयों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं इस पवित्र महीने में दूर-दूर से कांवड़िए गंगाजल लाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। शिवलिंग पर जल चढ़ाने को जलाभिषेक कहा जाता है।
वहीं सीधी भाषा में, जलाभिषेक का मतलब भगवान शिव पर जल चढ़ाना है। इससे भगवान शिव को शीतलता मिलती है। बता दें कि जलाभिषेक की परंपरा भगवान शिव के विष पान की घटना से जुड़ी हुई है। यह एक सरल और सामान्य विधि होती है। जिसको रोजाना शिवालय जाकर या घर के मंदिर में भी किया जा सकता है। जलाभिषेक के लिए कोई खास विधि नहीं होती है।
क्या होता है रुद्राभिषेक
जब शिवलिंग की पूजा वैदिक मंत्रों और विशेष सामग्री के साथ की जाती है। इस क्रिया को रुद्राभिषेक कहा जाता है। अलग-अलग कामनाओं के लिए ब्राह्मणों के द्वारा अलग-अलग सामग्रियों से शिवलिंग का अभिषेक मंत्रोच्चारण करते हुए रुद्राभिषेक कराया जाता है।
सामान्य तौर पर इस दौरान रुद्राष्टाध्यायी का पाठ किया जाता है। इसमें पहले जल से फिर दूध, दही, शहद, घी और फिर शुद्ध जल सहित पांच पवित्र द्रव्यों से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है।
आप रुद्राभिषेक घर पर भी कर सकते हैं और शिवालय में भी कर सकते हैं। मुख्य रूप से रुद्राभिषेक ग्रह दोष की शांति, मानसिक शांति, रोग मुक्ति, संतान सुख और मनोकामना पूर्ति के लिए यह अनुष्ठान किया जाता है।