महाभारत की कहानी और किरदारों को बखूबी सभी जानते हैं, उनकी प्रतिष्ठा और पराक्रम से भी सभी परिचित हैं लेकिन महाभारत के इन्हीं किरदारों के अलग रूप और गुणों ने उन्हें महानता अथवा दानवता प्रदान की है।
आज हम आपको इन्हीं किरदारों में से जाने माने नाम अश्वत्थामा के बारे में ऐसी किंवदंतियों के बारे में बताएंगे जो असल में कितनी वास्तविक हैं और कितनी काल्पनिक कोई नहीं जानता है। लोग आस्था और विश्वास के पर्दे डालकर कभी सच को झूठा और कभी झूठ को सच्चा समझ लेते हैं।
हर मानव की प्रकृति है जो उसे ऐसा करने पर मजबूर कर देती है ऐसा माना जाता है कि जब द्रोपदी के सोते हुए सात पुत्रों को अश्वत्थामा ने मौत के घाट उतार दिया था तो भगवान कृष्ण ने क्रोधित होकर अश्वत्थामा को श्राप दे दिया कि जाओ तुम चिरकाल तक यूं ही पृथ्वी पर भटकते रहोगे यही मान्यता कथा का स्वरूप लेकर जन-जन तक प्रचलित है कि अश्वत्थामा आज भी धरती पर भटक रहा है।
अश्वत्थामा से जुड़ी किंवदंती का जीता जागता उदाहरण है असीरगढ़ का किला
मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित असीरगढ़ का किला अश्वत्थामा से जुड़ी तमाम तरह की किंवदंतियों और कथाओं का जीता जागता स्वरूप व उदाहरण कहा जा सकता है ऐसा इसलिए कहा जा सकता है, क्योंकि यहां के स्थानीय निवासियों ने कई बार ऐसा दावा किया कि अश्वत्थामा असीरगढ़ किले में स्थित शिव के प्राचीन मंदिर में पूजा करने आते हैं।
स्थानीय बताते हैं कि कई बार हमने मंदिर में स्थित शिव प्रतिमा पर सुबह-सुबह फूल चढ़े हुए देखे हैं और मंदिर प्रांगण के वातावरण से ऐसा प्रतीत होता है कि कोई यहां आया था और शिव की आराधना करके गया है। खैर इस तथ्य में कितनी हकीकत है और कितना फसाना यह तय कर पाना मुश्किल है।
असीरगढ़ किले के करीब ही स्थित तालाब भी इस कथित सच का हिस्सा है
मान्यता के अनुसार असीरगढ़ किले के करीब स्थित तालाब में सुबह सबसे पहले अश्वत्थामा का स्नान होता है, तत्पश्चात अश्वत्थामा शिव की पूजा अर्चना व आराधना करते हैं।
इस मंदिर का नाम गुप्तेश्वर महादेव मंदिर है। गुप्तेश्वर महादेव का मंदिर पहाड़ियों से घिरा हुआ है, और मान्यता के अनुसार किसी गुप्त रास्ते से होते हुए महादेव मंदिर तक पहुंचकर पूजा करने आते हैं।
असीरगढ़ किला देखने कैसे जाएं?
मध्यप्रदेश में बुरहानपुर जिले से करीबन 20 किलोमीटर दूर स्थित असीरगढ़ किला पहुंचने के लिए बुरहानपुर जाना होगा। बुरहानपुर जाने के लिए खंडवा जाना पड़ेगा जहां से आसानी से परिवहन के साधन मिल जाएंगे। नजदीकी एयरपोर्ट इंदौर है। बुरहानपुर जिले से तकरीबन सभी बड़े शहरों के लिए रेल सेवाएं संचालित हैं।