हिंदू धर्म में मुंडन संस्कार को बेहद पवित्र और अहम माना जाता है। यह बच्चे के जन्म के बाद पहली बार बाल काटने की एक परंपरा है। इसको चूड़ाकरण के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि यह संस्कार बच्चे को उसके पिछले जन्म के दोषों से मुक्त करता है और बच्चे को अच्छा स्वास्थ्य, समृद्धि और दीर्घायु प्रदान करता है। मुंडन संस्कार को सोलह संस्कारों में से एक माना जाता है। जोकि बच्चे की शुभ शुरूआत का प्रतीक होता है। वहीं धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह अहम माना जाता है। क्योंकि यह बच्चे को शारीरिक और आत्मिक शुद्धता प्रदान रता है।
मुंडन संस्कार बच्चे को निगेटिव एनर्जी या नुकसान से बचाने में सहायता करता है। वहीं इस तरह के रीति-रिवाजों को शुभ समय पर किया जाता है। जिससे कि इसका सकारात्मक प्रभाव पड़े और कोई बुरा असर न हो। इसके लिए लोग पंडितों से सलाह लेते हैं या ज्योतिषीय गणना के मुताबिक शुभ तिथि का चयन करते हैं। साल 2025 में मुंडन संस्कार के लिए कुछ विशेष तारीखें हैं जोकि सामान्य रूप से शुभ मानी जाती हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको जुलाई से दिसंबर तक कुछ सामान्य शुभ तिथियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जोकि मुंडन संस्कार को अधिक फलदायी बनाती हैं।
नवजात शिशु का मुंडन संस्कार
आमतौर पर नवजात बच्चे का मुंडन संस्कार 1 से 3 साल की आयु में करना शुभ माना जाता है। विषम वर्षों में मुंडन संस्कार करना ज्यादा फलदायी माना जाता है। अगर 1 से 3 साल के बीच मुंडन संस्कार नहीं हो पाता है, तो यह संस्कार 5 से 7 साल की उम्र में भी किया जा सकता है। वहीं मंगलवार, शनिवार और अमावस्या तिथि को मुंडन संस्कार करने से बचना चाहिए।
अगस्त से दिसंबर तक की शुभ तिथि
बता दें कि अगस्त से लेकर दिसंबर 2025 के बीच मुंडन संस्कार के लिए कोई विशेष शुभ मुहू्र्त उपलब्ध नहीं है। क्योंकि इस दौरान पंचांग और नक्षत्रों की स्थिति मुंडन के लिए अनुकूल नहीं है। जिसकी वजह इस अवधि में मुंडन संस्कार से बचने की सलाह दी जाती है। वहीं कुछ लोग शारदीय नवरात्रि के समय भी मुंडन संस्कार कराते हैं, क्योंकि इसको शुभ और पवित्र समय माना जाता है। वहीं अगर आप अगस्त से दिसंबर के बीच मुंडन संस्कार कराने की योजना बना रहे हैं, तो आपको पहले ज्योतिषीय सलाह जरूर लेनी चाहिए।