रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक माना जाता है। राखी सिर्फ एक धागा नहीं बल्कि प्रेम, विश्वास और एक-दूसरे की रक्षा के संकल्प का बंधन है। हर साल रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं। लेकिन क्या आप जानती हैं कि राखी बांधने के कुछ खास नियम होते हैं। जिनका पालन करने से रक्षाबंधन पर्व का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका राखी बांधने से पहले ध्यान रखना चाहिए।
शुभ मुहूर्त का रखें ध्यान
हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले शुभ मुहूर्त का ध्यान रखा जाता है। रक्षाबंधन जैसे पर्व पर भद्राकाल का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भद्रा शनिदेव की बहन है और उनको अशुभ माना जाता है। माना जाता है कि भद्राकाल में किया गया शुभ कार्य फलदायी नहीं होता है, तो कई बार इसका विपरीत प्रभाव भी देखने को मिल सकता है। कहा जाता है कि लंकापति रावण की बहन उसको भद्रा काल में राखी बांधती थी, जिसके बाद रावण का विनाश हो गया था। इसलिए भद्रा रहित काल में ही बहनों को अपने भाई के राखी बांधनी चाहिए।
राखी को गंगाजल से करें शुद्ध
राखी सिर्फ एक धागा नहीं बल्कि यह बहन के प्रेम और भाई के प्रति उसकी मंगल कामनाओं और सुरक्षा का प्रतीक होता है। जब भी हम बाजार से राखी खरीदते हैं, तो वह कई हाथों से होकर गुजरती है। साथ ही हमको यह भी नहीं पता होता है कि उसको बनाने वाले, बेचने वाले या छूने वाले लोगों की ऊर्जा कैसी है। इसलिए राखी को बांधने से पहले उसको गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए। इससे राखी सभी नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्त करता है। ऐसा करने से राखी को अधिक पवित्र और प्रभावी बनाता है। गंगाजल से शुद्ध राखी में दैवीय शक्ति का वास होता है। यह राखी बाहरी बुराइयों से बचाता है और भाई के जीवन में सुख-समृद्धि को भी लाती है।
सही दिशा में बैठकर भाई को बांधें राखी
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करते समय दिशा का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि सही दिशा में बैठकर पूजा करने या कोई भी शुभ अनुष्ठान करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। धार्मिक शास्त्रों के मुताबिक राखी बांधते समय भाई का मुख हमेशा पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए। पूर्व दिशा को सूर्योदय की दिशा माना जाता है। जोकि सकारात्मक और नई शुरूआत का प्रतीक होता है। इस दिशा में मुख करके बैठने से भाई को आरोग्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।