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Dakesheshwae Mhadev Temple: राजा दक्ष और शिव से जुड़ी है दक्षेश्वर महादेव मंदिर की कथा, सावन में होती है भारी भीड़

By Astro panchang | Jun 20, 2024

भगवान शिव-शंकर के हमारे देश में कई मंदिर हैं, जो अपनी मान्यताओं और रोचक काहानियों व इतिहास को लेकर ज्यादा फेमस हैं। इन मंदिरों में भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। इसी तरह हरिद्वार में दक्षेश्वर महादेव मंदिर है, जोकि भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का बड़ा केंद्र है। हरिद्वार में महादेव को समर्पित दक्षेश्वर मंदिर की कथा भगवान शंकर और राजा दक्ष से जुड़ी है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इस मंदिर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं।

पौराणिक कथा
एक बार राजा दक्ष ने भव्य यज्ञ किया था। इस यज्ञ में महादेव के अलावा सभी देवी-देवताओं को बुलाया किया गया। वहीं माता सती जिद कर पिता के घर में होने वाले यज्ञ में शामिल होती हैं।  जब सती अपने पिता दक्ष के यहां पहुंचती हैं, तो राजा दक्ष महादेव का अपमान करते हैं। जिसे माता सती सहन नहीं कर पाती हैं और अग्निकुंड में कूदकर आत्मदाह कर लेती हैं। माता सती के आत्मदाह के बाद भगवान शंकर क्रोध में आकर अपनी जटाओं से वीरभद्र को जन्म देते हैं और वीरभद्र राजा दक्ष का सिर काट देते हैं।

वहीं देवी-देवताओं के काफी अनुरोध करने पर महादेव राजा दक्ष को जीवनदान देकर उनके बकरे का सिर लगा दिया। राजा दक्ष को अपनी गलती का एहसास होता है और वह भोलेनाथ से अपनी गलती की माफी मांगी। तब महादेव ने राजा दक्ष को माफ करते हुए वचन दिया कि हरिद्वार का मंदिर हमेशा उनके नाम से जुड़ा रहेगा। साथ ही महादेव ने राजा दक्ष को वचन दिया कि वह हर साल सावन के महीने में कनखल में ही निवास करेंगे।

किसने बनवाया था मंदिर
बताया जाता है कि साल 1810 में रानी धनकौर ने दक्षेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण करवाया था। वहीं साल 1962 में इस मंदिर का फिर से पुनर्निमाण कराया गया। इस मंदिर में भगवान श्रीहरि विष्णु के पद चिन्ह बने हैं। इस मंदिर के पास गंगा नदी बहती है। इस मंदिर के किनारे 'दक्षा घाट' है। इस मंदिर को माता सती के पिता राजा दक्ष की याद में बनवाया गया है।

मंदिर की खासियत
मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने राजा दक्ष को वचन दिया था कि वह इस मंदिर में दक्षेश्वर महादेव के रूप में पूजे जाएंगे। साथ ही वह अपनी ससुराल यानी की कनखल में निवास करेंगे। इसी वजह से सावन के महीने में मंदिर में स्थापित शिवलिंग के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। बताया जाता है कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग धरती लोक के साथ पाताल लोक में भी स्थापित है।
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