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प्रदोष व्रत से प्राप्त होती है भोलेनाथ की विशेष कृपा, मिलता है मनवांछित वर, जानें इसके नियम और पूजन विधि

By Astro panchang | Aug 28, 2020

हिन्दू धर्म में कई प्रमुख व्रत-त्योहार होते हैं जिनकी अपनी-अपनी विशेषता है। हिन्दू धर्म में एकादशी के अलावा प्रदोष व्रत की भी विशेष महत्त्व है। हर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है। प्रदोष का अर्थ होता है शाम इसलिए इस दिन सूर्यास्त के बाद भगवान शिव की उपासना की जाती है। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार त्रयोदशी के दिन भगवान शिव की पूजा-आराधना करने से मनवांछित वर प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है और जीवन के सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस माह का आखिरी प्रदोष व्रत 30 अगस्त यानि रविवार को है। रवि प्रदोष के दिन भगवान शंकर और भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। रविवार का प्रदोष व्रत रखने से सेहत संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। ऐसा माना जाता है कि जो लोग प्रदोष का व्रत करते हैं  उन्हें भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। प्रदोष व्रत करने के कुछ नियम और पूजन विधि हैं। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत यदि नियम और पूजा विधि के अनुसार ना किया जाए तो व्रत का पुण्य नहीं मिलता। आज के इस लेख में हम आपको प्रदोष व्रत के नियम और पूजन विधि की जानकारी देंगे - 

स्कंद पुराण के अनुसार प्रदोष व्रत करने की दो विधियाँ हैं। एक विधि के अनुसार इस व्रत में 24 घंटे तक कुछ खाना नहीं होता है और दूसरी विधि के अनुसार शाम को सूर्यास्त के बाद पूजा करके फलाहार कर सकते हैं। लेकिन इन दोनों विधियों में से एक ही नियम हर व्रत में रखना होगा।    

प्रदोष व्रत के नियम 
प्रदोष व्रत वाले सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए।  
इस दिन स्वच्छ और सफेद रंग के वस्त्र धारण करें। 
इस व्रत में भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है। प्रदोष व्रत में 24 घंटे तक कुछ नहीं खाना होता है। हालांकि, अगर फलहार करना हो तो सूर्यास्त के बाद पूजा करने के बाद फलाहार ग्रहण कर सकते हैं। 
इस व्रत में अन्न, लाल मिर्च, चावल और सादे नमक का सेवन नहीं किया जाता है। 
प्रदोष व्रत वाले दिन पूजा करने के बाद दूध का सेवन करके व्रत पूरा करें। 
हिन्दू धर्म के अनुसार प्रदोष व्रत में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। 
प्रदोष व्रत में बुरे कर्मों से बचना चाहिए और अपने मुंह से कोई अपशब्द ना निकालें। 
प्रदोष व्रत में शाम को पूजा की जाती है इसलिए सूर्यास्त के बाद स्नान करके पूजन करें। 

प्रदोष व्रत पूजन विधि
प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनने चाहिए।  
प्रदोष व्रत करने वाले को सुबह उठते ही भगवान भोलेनाथ का स्मरण करना चाहिए। 
इस व्रत में शाम को सूर्यास्त के बाद भगवान शिव की पूजा की जाती है।
शाम को स्नान करके, साफ कपड़े पहनकर पूजन करें। 
पूजा स्थल को गंगा जल से शुद्ध करने के बाद गाय के गोबर से लीप कर मंडप तैयार करें। 
मंडप में अलग-अलग रंगों से रंगोली बनाएं। 
प्रदोष व्रत में पूजन के लिए कुश के आसान का प्रयोग किया जाता है। 
इसके बाद  प्रदोष व्रत की कथा सुनें और भगवान की आरती करें। 
भगवान शिव से अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें और प्रभु से आशीर्वाद मांगे कि वे आप और आपके परिवार पर अपनी कृपा सदैव बनाए रखें।  
भगवान को भोग लगाएं और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें।
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