दुनिया के सबसे ऊंचे गुरुद्वारों में से एक हेमकुंड साहिब ने साल 2025 की तीर्थयात्रा के लिए अपने दरवाजे खोल दिए गए हैं। उत्तराखंड के चमोली जिले में 15,200 फीट की ऊंचाई पर हेमकुंड साहिब स्थित है। यह स्थल सिख तीर्थयात्रियों के लिए बहुत महत्व रखता है। पारंपरिक अरदास के बाद इसके कपाट खोल दिए गए हैं। यह सिखों का तीर्थस्थल है। जिसकी यात्रा के लिए हर साल दूर-दूर से तीर्थयात्री आते हैं। इस साल यह यात्री ऑफिशियल रूप से गुरुवार को शुरू हुई। तब तीर्थयात्रियों का पहला जत्था ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला रोड पर स्थित गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब से रवाना हुआ। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इस तीर्थयात्रा के बारे में बताने जा रहे हैं।
जानिए रूट
बता दें कि हेमकुंड साहिब की यात्रा गोविंदघाट से शुरू होती है। जोकि ऋषिकेश से करीब 275 किमी दूर है। तीर्थयात्री घांघरिया गांव तक 13 किमी की चढ़ाई करते हैं, जो आधार शिविर के तौर पर कार्य करता है। घांघरिया से गुरुद्वारे तक 6 किमी की खड़ी चढ़ाई है। ऊंचाई और ऊबड़-खाबड़ इलाके की वजह से यह ट्रेक काफी मुश्किल हो जाता है।
हेलिकॉप्टर सेवाएं
अगर आप भी हेमकुंड साहिब की यात्रा पर जाने की योजना बना रहे हैं, तो यहां पर आपको हेलीकॉप्टर सेवाएं उपलब्ध हैं। यह सेवाएं गोविंदघाट और घांघरिया के बीच दी जाती है। ऐसे में आप इसकी बुकिंग सिर्फ आईआरसीटीसी हेलीयात्रा वेबसाइट से ऑनलाइन कर सकते हैं।
रात में नहीं रुक सकते हेमकुंड
जो भी तीर्थयात्री हेमकुंड साहिब की यात्रा के लिए जा रहे हैं, उन्हें बता दें, हेमकुंड साहिब में रात भर रुकने की अनुमति नहीं है; इसलिए, तीर्थयात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे दोपहर 2 बजे तक उतरना शुरू कर दें ताकि शाम ढलने से पहले घांघरिया वापस आ सकें। घांघरिया में ठहरने के के काफी ऑप्शन है। यहां आप गुरुद्वारे, साथ ही होटल और कैंप ग्राउंड में आराम से रात गुजार सकते हैं।
जरूर देखें ये जगहें
हेमकुंड साहिब की यात्रा पर आ रहे हैं, तो यहां से करीब 3 किमी दूर घांघरिया से फूलों की घाटी स्थित है। जहां पर विभिन्न प्रकार की फूलों की प्रजाति देखने को मिलेगी। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भी है। वहीं जुलाई और अगस्त के दौरान यह घाटी पूरी तरह से खिली रहती है। ऐसे में आप हेमकुंड साहिब की यात्रा के दौरान इस खूबसूरत घाटी की भी सैर कर सकते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
अगर आप हेमकुंड साहिब यात्रा पर जा रहे हैं, तो तीर्थयात्रियों को सलाह दी जाती है कि वह उचित रूप से खुद को हाइड्रेट रखें। साथ ही पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। वहीं अपने साथ कुछ जरूरी दवाएं रखें और Acute Mountain Sickness के लक्षणों के प्रति सचेत रहें।