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Hinglaj Temple: बलूचिस्तान में है सबसे प्राचीन हिंगलाज मंदिर, 51 पवित्र शक्तिपीठों में है शामिल

By Astro panchang | Jun 10, 2025

भारत और पाकिस्तान तनाव के बीच बलूचिस्तान की आजादी को लेकर मांग काफी तेज हो गई है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान में सनातन धर्म से जुड़ा हिंगलाज मंदिर है। जो काफी समय से महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान बना हुआ है। इस मंदिर में सबसे ज्यादा बलूचिस्तान के हिंदू आते हैं। बता दें कि हिंगलाज मंदिर 51 पवित्र शक्तिपीठों में से एक है। बलूचिस्तान में स्थित हिंगलाज मंदिर हिंदू धर्म के लिए सबसे पवित्र स्थल है। इस मंदिर में जो भी आकर पूजा करता है, उसके सभी पाप धुल जाते हैं। इस मंदिर को हिंगलाज मंदिर, हिंगुला देवी और नानी मंदिर के नाम से जाना जाता है। तो आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इस फेमस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं।

मंदिर की खासियत
हिंगलाज मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित हिंगोल नेशनल पार्क में है। यह मंदिर पाकिस्तान में मौजूद तीन शक्तिपीठों में से एक है। बाकी के दो शक्तिपीठ शिवाहरकराय और शारदा पीठ हैं। हर साल वसंत ऋतु में यहां पाकिस्तान का एक बड़ा हिंदू त्योहार मनाया जाता है। जिसको हिंगलाज यात्रा कहा जाता है। इस यात्रा में करीब 1 लाख से ज्यादा भक्त शामिल होते हैं। इस यात्रा में भक्त सैकड़ों सीढ़ियां चढ़कर प्राचीन मंदिर तक पहुंचते हैं। जोकि हिंगोल नदी के किनारे बसा है। मंदिर पहुंच कर भक्त नारियल और गुलाब की पंखुड़ियां चढ़ाते हैं। इस दौरान श्रद्धालु हिंगलाज माता के दर्शन कर पाते हैं।

मंदिर का इतिहास
शिव पुराण के मुताबिक प्रजापति दक्ष अपनी बेटी सती के लिए एक अच्छा वर ढूंढ रहे थे। लेकिन सती ने अपने पिता दक्ष की इच्छा के खिलाफ जाकर भगवान शिव को अपने पति के रूप में चुन लिया। जिस कारण प्रजापति दक्ष बहुत नाराज हुए। बाद में उन्होंने एक बड़ा यज्ञ करवाया, जिसमें सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया।

इस अपमान और क्रोध से मां सती ने खुद को अग्नि में भस्म कर दिया। वहीं जब भगवान शिव को यह पता चला तो उन्होंने सती के वियोग से दुखी होकर उनकी मृत देह लेकर ब्रह्मांड में घूमने लगे। इसके बाद भगवान विष्णु ने मां सती के शरीर पर सुदर्शन चक्र चला दिया और शरीर 108 टुकड़ों में बंट गया।

यह टुकड़े धरती पर 52 जगह गिरे और अन्य ग्रहों पर बिखर गए। जहां-जहां पर माता सती के अंग गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ बने। जोकि आज मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों के मंदिर हैं। जहां पर माता सती का सिर गिरा था, वहां पर हिंगलाज मंदिर है।

मंदिर की देखरेख
बता दें कि बलूचिस्तान में मौजूद मां सती के 51 शक्तिपीठों में से एक हिंगलाज मंदिर की देखभाल यहां के स्थानीय लोग यानी बलूच करते हैं। यहां के स्थानीय लोग इस मंदिर को बेहद चमत्कारिक मानते हैं। खूबसूरत पहाड़ियों में यह मंदिर इतने बड़े क्षेत्र में बना है कि देखने वाला हैरान रह जाता है। यह मंदिर आदिकाल से है, लेकिन इसके इतिहास के मुताबिक मंदिर 2000 साल पहले से यही पर स्थापित है। यहां पर पिंडी रूप में एक शिला पर देवी मां का स्वरूप उभरा हुआ है। नवरात्रि के 9 दिनों तक मंदिर में विशेष रूप से पूजा होती है। 

गुफा में है मंदिर
हिंगलाज माता मंदिर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। जहां पर एक गुफा बनी हुई है। इस मंदिर में कोई दरवाजा नहीं है और इसकी परिकर्मा करने के लिए तीर्थयात्री गुफा के रास्ते से आते हैं। वहीं दूसरी ओर से निकल जाते हैं। यहां पर भगवान भोलेनाथ भीमलोचन भैरव के रूप में विराजमान हैं। वहीं मंदिर में कालिका माता की प्रतिमा, ब्रह्मकुंड, श्रीगणेश और तीरकुंड जैसे प्रसिद्ध तीर्थ भी हैं।
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