होम
कुंडली
टैरो
अंक ज्योतिष
पंचांग
धर्म
वास्तु
हस्तरेखा
राशिफल
वीडियो
हिन्दी न्यूज़
CLOSE

मां स्कंदमाता की पूजा से भक्तों की पूरी होती हैं सभी इच्छाएं

By Astro panchang | Oct 03, 2019

नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है। देवी मोक्ष के द्वार खोलती हैं और भक्तों को सभी इच्छाएं पूरी करती हैं। तो आइए हम आपको मां स्कंदमाता से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं। 
 
देवी से जुड़ी पौराणिक कथा
भगवान स्कंद को 'कुमार कार्तिकेय' के नाम से भी जाना जाता है। प्राचीन काल में जब देवासुर संग्राम हुआ तो वीरता के कारण इन्हें देवताओं का सेनापति बनाया गया था। पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा के बारे में बताया गया है। मां दुर्गा स्कंद की माता हैं। इसकी कारण दुर्गाजी को स्कंदमाता भी कहा जाता है। इनकी महिमा के कारण नवरात्र के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है।
 
स्कंदमाता का स्वरूप
पहाड़ों में रहकर सभी जीवों में नवचेतना का संचार करने वाली देवी स्कंदमाता बहुत प्रभावशाली हैं। देवी स्कंदमाता की चार भी भुजाएं हैं। मां के दाहिनी ओर नीचे वाली भुजा, जो ऊपर उठी हुई है, उसमें कमल का फूल होता है। बायीं ओर की ऊपर वाली भुजा में वरमुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर है उसमें भी कमल का फूल ली हुई हैं। इनका रंग शुभ्र है। देवी स्कंदमाता सदैव कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। कमल के आसन पर विराजमान रहने के कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। देवी सदैव शेर पर सवार रहती हैं।
 
नवरात्र में स्कंदमाता की पूजा विधि 
नवरात्र के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता को प्रसन्न करने के लिए केले का भोग लगाएं। केले का भोग लगाकर जरूरतमंत को दें। साथ ही नवरात्र के पांचवें दिन ब्रह्माणों को केला दान करने बुद्धि और बल में वृद्धि होती है।
 
स्कंदमाता की पूजा का महत्व 
स्कंदमाता की कृपा प्राप्त करने के लिए मन को एकाग्र रखकर माता की आराधना करें। माता की पूजा से मोक्ष का मार्ग मिलता है। मां स्कंदमाता चेतना को निर्मित करती हैं। मां की कृपा से बुद्धि में वृद्धि होती और ज्ञान रूपी आशीर्वाद मिलता है। साथ ही सभी तरह की व्याधियों का अंत हो जाता है। मां स्कंदमाता की आराधना सदैव रात के दूसरे पहर में करनी चाहिए। मां को चंपा के फूल चढ़ाएं। इसके अलावा हरे रंग की चूड़ियां से श्रृंगार करें। मां के आर्शीवाद से परिवार में सुख शांति मिलती है। यही नहीं मां की आराधना भक्त हेतु शुभ होता है। मां स्कंदमाता की पूजा से भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस संसार ही उसे शांति तथा सुख की अनुभूति होती है। स्कंदमाता की पूजा से स्कंद भगवान के बालरूप की भी पूजा हो जाती है। देवी स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। इसके कारण इनका साधक अलौकिक तेज एवं प्रकाशयुक्त हो जाता है। हमें एकाग्रभाव से पवित्र मन से मां की शरण में आने की कोशिश करनी चाहिए। 
 
साधक दुर्गा मां की पूजा कुंडलिनी जागृत करने के उद्देश्य से भी करते हैं। उनके लिए दुर्गा पूजा का यह  पांचवां दिन विशुद्ध चक्र की साधना का होता है। इस चक्र का भेदन हेतु भक्त को मां की विधिवत पूजा करनी चाहिए। पूजा हेतु कुश और कंबल के पवित्र आसन पर बैठकर पूजा शुरू करनी चाहिए।
 
प्रज्ञा पाण्डेय
 

Copyright ©
Dwarikesh Informatics Limited. All Rights Reserved.