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इस दिन है गोवर्धन पूजा, जानें क्यों मनाई जाती है गोवर्धन पूजा और पूजा विधि

By Astro panchang | Nov 12, 2020

पाँच दिनों तक चलने वाला दिवाली महापर्व जल्द ही शुरू होने वाला है।   गोवर्धन पूजा दिवाली के दूसरे दिन मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व होता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट भी कहते हैं। गोवर्धन पूजा उत्तर भारत में विशेष रूप से बड़े धूम-धाम से मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्री कृष्‍ण के गोवर्धन स्‍वरूप की पूजा की जाती है और उन्‍हें 56 भोग और अन्‍नकूट का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इस पर्व पर लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाते हैं और उसकी पूजा करते हैं। यदि सही मुहूर्त पर गोर्वधन पूजा की जाए तो इसके शुभ फल भी प्राप्‍त होते हैं।

गोवर्धन पूजा 2020 शुभ मुहूर्त 
दोपहर 03 बजकर 18 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 27 मिनट तक

क्यों मनाई जाती है गोवर्धन पूजा
धार्मिक मान्यताों के अनुसार द्वापर युग में भगवान नारायण ने पृथ्‍वी पर धर्म की स्‍थापना के लिए बृज भूमि में श्रीकृष्‍ण के रूप में अवतार लिया था। उस युग में बृज के लोग भगवान इंद्र को अपना ईष्ट देव मानते थे। लेकिन श्रीकृष्‍ण का मानना था कि जो पर्वत बृज वासियों को फल, फूल और अन्‍य सुविधाएं देता है, उसे छोड़ कर देवराज इंद्र की पूजा क्‍यों की जाती है। ऐसी मान्‍यता है कि भगवान कृष्‍ण के कहने पर बृज वासियों ने देवराज इंद्र की पूजा करने के स्‍थान पर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी।  इससे नाराज होकर देवराज इंद्र ने लगातार बारिश कर पूरी बृज भूमि को पानीमय कर दिया था।  तब भगवान श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र के अहंकार को नष्ट करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपने हाथों की सबसे छोटी उंगली पर उठा लिया था और गोकुल वासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था।  तभी से गोवर्धन पूजा की परंपरा शुरू हुई थी।  
 

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गोवर्धन पूजन विधि
दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है। इस त्योहार के दिन गोवर्धन पर्वत, गाय और भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। गोवर्धन पूजा जहां एक तरफ भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति दिखाने का पर्व है वहीं यह प्रकृति के प्रति आभार और सम्मान व्यक्त करने का त्योहार भी है।  

गोर्वधन पूजा के लिए गाय के ताजे गोबर से फर्श पर चौक और पर्वत बनाएं और इसे फूलों से सजाएं। 

गोवर्धन पूजा में गोवर्धन पर धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल और फूल आदि चढ़ाएं और कथा पढ़ें।   

गोवर्धन पूजा पर गाय की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इसके अलावा इस दिन कृषि काम में आने वाले पशुओं की पूजा की जाती है।

गोवर्धन पूजा पर गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में गोवर्धन पर्वत बनाए जाते हैं। फिर गोवर्धन पुरुष की नाभि पर एक मिट्टी का दीपक रखा जाता है। इस दीपक जलाने के साथ दूध, दही, गंगाजल आदि पूजा करते समय अर्पित किए जाते हैं और बाद में प्रसाद के रूप में बांट दिए जाते हैं।

पूजा करने के बाद गोवर्धन की सात बार परिक्रमा करें। परिक्रमा के वक्‍त हाथों में जल से भरा कोई पात्र या लोटा लें और परिक्रमा के दौरान जल को गिराते जाएं। 

गोवर्धन पूजा में अन्‍नकूट का प्रसाद जरूर चढ़ाएं और पूजा के बाद घर के सभी सदस्‍यों को यह प्रसाद ग्रहण करने के लिए दें।  गोवर्धन पूजा करने से धन और संतान सुख में वृद्धि होती है।
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