हिंदू धर्म में आपने देवी-देवताओं की मूर्ति या फिर प्रतिमा में देखा होगा कि उनकी दो से अधिक भुजाएं होती हैं। इन भुजाओं में देवी-देवताओं ने अलग-अलग अस्त्र-शस्त्र आदि धारण करते हैं। बता दें कि हिंदू देवताओं की कई भुजाएं उनकी शक्ति को दर्शाने का काम करती हैं, जैसे - मां दु्र्गा ने अपनी भुजाओं में कई हथियारों को धारण किया किया है, जोकि उनकी बुराइयों पर लड़ने की अपार शक्ति को दर्शाते हैं। इसके अलावा भगवान श्रीहरि विष्णु ने अपनी भुजाओं में जो अस्त्र-शस्त्र और वस्तुएं धारण की हैं, उन्हें आध्यात्मिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतीक से जोड़कर देखा जाता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि देवी-देवताओं की इतनी भुजाएं होने का क्या अर्थ होता है।
भुजाएं दर्शाती हैं ये चीजें
आपने देवी-देवताओं के चित्र या प्रतिमा में देखा होगा कि हर अतिरिक्त भुजा एक विशिष्ट हथियार या फिर प्रतीक रखती है। यह उन देवी-देवताओं के विभिन्न गुणों और शक्तियों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसके साथ ही देवी-देवताओं की अनेक भुजाएं उनकी बहुमुखी प्रकृति का भी प्रतीक मानी जाती हैं।
इसके अलावा देवी-देवताओं की भुजाएं इस बात का प्रतिनिधित्व करती हैं कि वह एक साथ कई कार्य करने में सक्षम हैं। यह देवी-देवता अपनी अनेक भुजाओं में अस्त्र-शस्त्र धारण करके बुराइयों का अंत करते हैं और अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
जानिए किस देवी-देवता की कितनी भुजाएं
बता दें कि मां लक्ष्मी और मां सरस्वती को चार भुजाओं के साथ दर्शाया जाता है। मां लक्ष्मी की पूजा धन की देवी के रूप में की जाती है। तो वहीं मां सरस्वती की पूजा ज्ञान की देवी के रूप में की जाती है। इन देवियों के चार भुजाएं भक्तों को गुण और धन प्रदान करती हैं।
इसके साथ ही भगवान शिव को अनेक स्वरूपों में कई भुजाओं के साथ दर्शाया जाता है। देवी दुर्गा को आठ भुजाओं के साथ दर्शाया जाता है। मां दुर्गा की आठ भुजाएं विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र चलाने और शत्रुओं पर विजय पाने की क्षमता को दर्शाता है।