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इस बार जानिए गणेश चतुर्थी से जुड़ी कुछ खास बातें जिनका पालन करने से मिलेगा आपको गणपति बप्पा की स्थापना का पूरा लाभ

By Astro panchang | Aug 20, 2020

भारतवर्ष में बहुत सारे त्यौहार मनाए जाते हैं। अलग-अलग धर्म जाति के लोग यहां पर रहते हैं जिस कारण हर दिन कोई न कोई त्योहार आपको यहां मिल ही जाएगा।तो फिलहाल हम बात करने वाले हैं, गणेश चतुर्थी के त्योहार की जोकि अभी आने वाला है। तो आज हम आपको बताएंगे गणेश चतुर्थी के बारे में, आखिर क्यों गणेश जी को गणपति कहा जाता है और वो सावधानियां भी जो गणेश जी की स्थापना के समय आपको बरतनी चाहिए।इस वर्ष गणेश चतुर्थी का त्योहार 22 अगस्त 2020 को आने वाला है। हिंदू धर्म के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था और लोग इस दिन उनकी स्थापना अपने घरों में पूरे विधि-विधान और पूजा पाठ से करते है।

गणपति बप्पा की जन्म कथा -

पौराणिक कथाओं के अनुसार नंदी से एक दिन माता पार्वती के आदेश की चूक हो गई थी। जिसके बाद माता ने सोचा कि कोई ऐसा होना चाहिए जो केवल उन्ही की आज्ञा का पालन करें। उस समय उन्होंने अपने उबटन से एक बच्चे के आकार की मूर्ति बनाकर उसमें प्राण डाल दिए। कहाँ जाता है कि जब माता पार्वती नहा रही थीं उस समय उन्होंने इस बालक को बाहर पहरा देने के लिए कहा। माता पार्वती ने बालक को आदेश दिया था कि उनकी आज्ञा के बिना किसी को अंदर नहीं आने दिया जाए।कहते हैं कि भगवान शिव के सेवक आए तो बालक ने उन्हें अंदर जाने से मना कर दिया। इसके पश्चात स्वयं भगवान शिव आए तो बालक ने उन्हें भी अंदर नहीं आने दिया। इसके बाद भगवान शिव गुस्सा हो गए और उन्होंने बच्चे का सिर धड़ से अलग कर दिया। यह सब देख कर वहां पर मौजूद सभी लोग अचंभित रह गए।इसके बाद जब माता पार्वती ने बाहर आकर यह सब देखा तो बेहद क्रोधित हो गई और उन्होंने भगवान शिव से अपने बालक को वापस जिंदा करने को कहा। जिस कारण भगवान शिव ने उस बालक को जिंदा करने के लिए उनके सिर की जगह एक हाथी के बच्चे का सिर लगा दिया।

गणपति-

कहा जाता है कि बालक को सभी देवताओं ने वरदान दिए। सभी गणों का स्वामी होने के कारण भगवान गणेश को गणपति कहा जाता है। हाथी अर्थात गज का सिर होने के कारण इन्हें गजानन भी कहते हैं।

स्थापना और विधि विधान -

ऐसा माना जाता है कि गणपति जी की स्थापना पूरे विधि विधान से ना की जाए तो वह घर में विराजमान नहीं होते और ना ही उनका पूर्ण रूप से आशीर्वाद मिल पाता है। तो चलिए आपको बताते हैं किस तरह से उनकी स्थापना और पूजा पाठ विधि विधान से करना चाहिए -

1.सबसे पहले तो गणेश चतुर्थी के दिन अच्छे से स्नान आदि करके साफ वस्त्र पहनकर भगवान गणेश की मूर्ति लानी चाहिए।

2. इसके बाद चौकी बिछाकर उस पर लाल या फिर हरे रंग का कपड़ा बिछाना चाहिए।

3.अब कपड़ा बिछाने के बाद उस पर अक्षत रख दें और अक्षत के ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति को स्थापित करें।

4. इसके पश्चात भगवान गणेश की मूर्ति पर गंगाजल छिड़कें।

5. अब आप भगवान गणेश जी को जनेऊ धारण करा दे और बाएं ओर अक्षत रखे और कलश की स्थापना करें। कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह भी बनाएं।

6. कलश पर आम के पत्ते रखे और नारियल पर कलावा बांधकर कलश की स्थापना करें।

7. कलश स्थापना के बाद गणपति बप्पा को दूर्वा अर्पित करने के बाद उन्हें पंचमेवा और मोदक का भोग लगाएं।

8. भगवान गणेश को फूल-माला, रोली आदि भी अर्पित करें।

8. गणपति जी का अब रोली से तिलक करें। तिलक करने के बाद गणेश जी के सामने अखंड दीपक जलाएं और फिर उसे दाईं ओर रख दें।

9. अब अंत में भगवान गणेश जी की आरती उतारें।
 
श्री गणेश स्थापना से संबंधित कुछ खास बातें -

1. हमेशा ध्यान रहे कि घर या ऑफिस में जहां कहीं भी आप गणपति बप्पा की मूर्ति रखें। वहां पर गणपति की दो मूर्तियां एक साथ न हो। ऐसा माना जाता है कि अगर दोनों एक साथ हो तो ऊर्जा का आपस में टकराव होता है। जिससे धन की भी हानि होती है और नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।

2. शास्त्रों के अनुसार गणपति बप्पा की स्थापना हमेशा पूर्व दिशा और उत्तर पूर्व दिशा में करना ही शुभ माना जाता है। भगवान गणेश की स्थापना भूलकर भी कभी दक्षिण और दक्षिण पश्चिम में नहीं करनी चाहिए।

3. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि गणपति बप्पा की स्थापना के समय मूर्ति का मुख दरवाजे की तरफ नहीं होना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि भगवान गणेश के मुख की ओर सौभाग्य, सिद्धि और सुख आता है।

4.सबसे अहम बात ये है कि भगवान गणेश जी के सामने अखंड ज्योति विसर्जन वाले दिन तक जलाती रहनी चाहिए।

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