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छठ पूजा में बाकी हैं कुछ ही दिन, जानें छठ के चारों दिन किस विधि से करनी चाहिए पूजा

By Astro panchang | Nov 17, 2020

जल्द ही छठ महापर्व की शुरुआत होने वाली है। चार दिन तक चलने वाला यह महापर्व विशेष रूप से बिहार, झारखण्ड और पूर्वी उत्तर भारत में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस बार छठ पूजा 20 नवंबर (शुक्रवार) को है। छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से होती है और कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मुख्य पूजा के बाद सप्तमी की सुबह सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन होता है। छठ का व्रत बहुत ही कठिन होता है इसमें पूरे 36 घंटे तक बिना कुछ खाए पीए रहना होता है। छठ पूजा में सूर्य की आराधना का बड़ा महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठी माता को सूर्य देवता की बहन माना जाता हैं। मान्यताओं के अनुसार छठ पूजा में सूर्य की उपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं और परिवार में सुख-शांति और संपन्नता का आशीर्वाद देती हैं। छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है और इसके अगले दिन खरना होता है। तीसरे दिन स्नान कर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और प्रसाद तैयार किया जाता है। छठ के आखिरी दिन उगते हुए सूर्य की आराधना की जाती है। आइए जानते हैं इस साल छठ पूजा की तिथियाँ, पूजा का शुभ मुहूर्त और छठ पूजा में किस दिन क्या किया जाता है -

छठ पूजा 2020 तिथियां
18 नवंबर 2020 (बुधवार) - चतुर्थी (नहाय-खाय)
19 नवंबर 2020 (गुरुवार) - पंचमी (खरना)
20 नवंबर 2020 (शुक्रवार) - षष्ठी (डूबते सूर्य को अर्घ)
21 नवंबर 2020 (शनिवार) - सप्तमी (उगते सूर्य को अर्घ)

छठ पूजा 2020 शुभ मुहूर्त
छठ पर्व की शुरुआत 20 नवंबर को होगी। इस दिन सूर्योदय 06 बजकर 48 मिनट पर होगा तथा सूर्यास्त 17 बजकर 26 मिनट पर होगा। आपको बता दें कि षष्ठी तिथि एक दिन पहले यानी 19 नवंबर को रात 09 बजकर 58 से शुरू हो जाएगी और 20 नवंबर को रात 09 बजाकर 29 मिनट तक रहेगी। इसके अगले दिन सूर्य को सुबह अर्घ्य देने का समय 06 बजकर 48 मिनट है।

छठ पूजा में किस दिन क्या होता है
छठ पूजा की शुरुआत चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय से हो जाती है। इस बार नहाय खाय 18 नवंबर (बुधवार) को है। नहाय-खाय के दिन लोग घर की साफ-सफाई करते हैं। इस दिन लोग नए वस्त्र धारण कर सात्विक आहार लेते हैं। इसके बाद लोग छठ मैया का व्रत रखते हैं और सुबह सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही पारण करते हैं। व्रत से पूर्व नहाने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करने को ही नहाय-खाय कहा जाता है। इसके बाद पंचमी तिथि को खरना होता है जिसमें व्रती को दिन में व्रत करके शाम को सात्विक आहार जैसे गुड़ की खीर, कद्दू की खीर आदि ग्रहण करना होता है।

षष्ठी को रखते हैं निर्जला व्रत
छठ पूजा के दिन षष्ठी को व्रती को निर्जला व्रत रखना होता है। यह व्रत खरना के दिन शाम से शुरू होता है। छठ यानी षष्ठी तिथि के दिन शाम को डूबते सूर्य को अर्घ दिया जाता है। इस दिन छठ पर्व का प्रसाद बनाया जाता है।व्रत रखने वाली महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देने और पूजा के लिए तालाब, नदी या घाट पर जाती हैं। स्नान कर डूबते सूर्य की पूजा की जाती है। इसके बाद सप्तमी को उगते हुए सूर्य को अर्घ दिया जाता है। पूजा के बाद प्रसाद बाँट कर करीब 36 घंटे चलने वाला निर्जला व्रत समाप्त होता है।
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