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जानें करवा चौथ 2020 का शुभ मुहूर्त, पूजन और चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि

By Astro panchang | Oct 24, 2020

सुहागिन स्त्रियों के लिए करवा चौथ व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन महिलाऐं अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए व्रत रखती हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। इस साल करवा चौथ व्रत 4 नवंबर (बुधवार) को रखा जाएगा। करवा चौथ के दिन महिलाऍं अपने पति के लिए सजती-संवरती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं। करवाचौथ के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है यानि इस दिन महिलाएँ कुछ पानी भी ग्रहण नहीं करती हैं। इस दिन चंद्रोदय के बाद अपने पति के हाथ से जल ग्रहण करने के बाद ही महिलाऐं अपना व्रत खोलती हैं। करवाचौथ व्रत में चन्द्रमा को अर्घ्य देने और पूजन का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं करवाचौथ 2020 शुभ महूर्त और पूजन विधि -      

करवाचौथ 2020 शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारंभ - 04 नवंबर (बुधवार) को सुबह 03:24 मिनट से 5 नवंबर को सुबह 05:14 मिनट तक
करवा चौथ पूजा मुहूर्त- शाम 5 बजकर 29 मिनट से शाम 6 बजकर 48 मिनट तक
चंद्रोदय- रात 8 बजकर 16 मिनट पर।

इसे भी पढ़ें: करवा चौथ 2020 में कब है? जानें क्या है करवा चौथ व्रत का महत्व और कब हुई थी इसकी शुरुआत


करवा चौथ पूजन विधि
करवा चौथ के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करें और साफ कपड़े पहनें। इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। इस दिन सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है इसलिए करवा चौथ के दिन श्रृंगार अवश्य करें।
यदि आपके यहाँ करवा चौथ के दिन सुबह सूर्योदय से पहले सरगी  की परंपरा है तो सुबह जल्दी उठकर सरगी खाएं।
सुबह मंदिर में भगवान के समक्ष पूजा करके व्रत आरंभ करें। करवाचौथ का व्रत निर्जला रखा जाता है यानि पूरे दिन पानी भी ग्रहण नहीं किया जाता है।
करवा चौथ के दिन भगवान शिव - पार्वती, कार्तिकेय और गणेश के साथ चंद्रमा की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है।  
पकवान से भरे 10 करवे गणेश जी के समक्ष रख कर प्रार्थना करने से परिवार में सुख-समृद्धि का विस्तार होता है।         करवा चौथ के दिन व्रत कथा पढ़ने का विशेष प्रावधान है इसलिए अपने घर की परंपरा के अनुसार दिन या संध्या के समय करवा चौथ की कथा पढ़े या सुनें।
शाम को चंद्रोदय से पहले ही पूजन की तैयारी कर लें। पूजन से पहले गाय के गोबर लगाकर उस पर पीसे हुए चावल या खड़िया से चंद्रमा की आकृति बनाएं। एक पटरी पर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। उसके बाद दीपक जलाकर पूजा प्रारंभ करें।
चंद्रमा की आकृति पर तिलक करें। देवी-देवताओं को तिलक लगाएं। लौंग कर्पूर जलाएं। फल फूल अर्पित करें। श्रंगार की सभी सामाग्री की भी पूजा करें।

चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि
करवा चौथ का व्रत सूर्योदय होने से पहले रखा जाता है और रात में चन्द्रमा के दर्शन करने और अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोला जाता है। शास्त्रों के अनुसार चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा की पूजा से पति की आयु लंबी होती है और वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। चंद्रोदय के बाद एक लोटे में जल भरकर और हाथों में पूजा की सींक लेकर चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए सात परिक्रमा करें। चंद्रमा को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का जाप करें अनुक्म्प्य्म माम देव गृहण अर्घ्यम सुधाकर:।।  इसके बाद चंद्रमा की आरती करें और छलनी में दिया रखकर चंद्रमा को देखें। इसके बाद छलनी से अपने पति का चेहरा देखें। अपने पति के हाथों से जल पीकर व्रत खोलें और पति एवं घर के सभी बड़ो का आशीर्वाद लें।

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