सतयुग द्वापर त्रेता युग के बीत जाने के बाद वर्तमान में कलयुग का शासन है। कलयुग में पांच जागृत देवताओं में एक हनुमान जी का नाम आता है। हनुमान जी को अजर अमर की उपाधि दी जाती है, माना जाता है कि कलयुग में हनुमान जी विपत्ति के घड़ी में लोगों का दुख दूर करेंगे। दु:ख की घड़ी में हनुमान कवच यंत्र लोगों का दुख दूर करने में एक अहम भूमिका निभाता है। हनुमान कवच यंत्र पहनने मात्र से लोगों के दुःख और गरीबी दूर हो जाते हैं। माना जाता है कि त्रेता युग में दुष्ट रावण का वध करने के लिए प्रभु श्री राम ने हनुमान कवच का पाठ किया था और स्वयं प्रभु श्रीराम ने हनुमान कवच की संरचना की थी। रावण समेत अन्य असुरों का नरसंहार हनुमान कवच यंत्र की शक्ति से ही संभव हो पाया। प्रभु श्री राम की संरचना के तपोबल से हनुमान कवच यंत्र की संरचना की गई थी।
हनुमान कवच यंत्र धारण करने से लाभ
हनुमान कवच यंत्र धारण करने से दरिद्रता, भूखमरी, बीमारी से शीघ्र ही मुक्ति मिल जाती है। यह यंत्र बुराई का नाश और सच्चाई की जीत के लिए भी प्रेरक है। गरीब दीन दुखियों की जिंदगी में तम रूपी अंधेरे में प्रकाश फैलाने के लिए यह यंत्र अति लाभकारी है। यह यंत्र भूत, प्रेत, असुर और राक्षसी ताकतों से लड़ने में मदद करता है और कार्य सिद्धि में भी हनुमान कवच लाभकारी होता है।
हनुमान कवच यंत्र धारण करने की विधि
1 हनुमान कवच यंत्र धारण करने का सबसे शुभ दिन मंगलवार को माना जाता है क्योंकि मंगलवार हनुमान जी का पवित्र दिन है। हिन्दू धर्म मान्यता के अनुसार किसी भी शुभ काम करने से पहले हमें स्वयं को स्वच्छ करना होता है, ठीक इसी प्रकार हनुमान कवच धारण करने से पहले से प्रातः काल जिस समय सूर्य की लालिमा पृथ्वी को प्रकाशमान कर रही हो इसी ऊर्जावान बेला में हमें स्नान करना चाहिए।
2 स्नान करने के पश्चात हमें पीला या लाल स्वच्छ वस्त्र धारण कर लेना चाहिए और अपने घर के नजदीक किसी हनुमान जी के मंदिर के पास प्रात: काल में ही चले जाना चाहिए।
3 मंदिर में पहुंचने के पश्चात हमें गंगा जल का छिड़काव करना चाहिए और लाल आसन बिछा कर बैठ जाना चाहिए।
4 हनुमान जी की ओर मुख कर के बैठना चाहिए और अगरबत्ती धूप बत्ती और प्रसाद को साफ सुथरे रूप से रख लेना चाहिए और अब अगरबत्ती और धूप बत्ती को जला दें।
5 धूप और अगरबत्ती के साथ घी और सरसों के तेल के दीपक जलाएं तथा हाथ में फूल,चावल लेकर हनुमान जी का ध्यान करें।
6 ध्यान करने के पश्चात सिंदूर में चमेली का तेल मिलाकर हनुमान जी के कवच यंत्र को लपेट कर हाथों में पकड़ लें तथा 108 बार हनुमान कवच मंत्र का जाप करें।
7 मंत्र जाप के पूर्ण हो जाने के पश्चात यदि आप चाहें तो ग्यारह बार हनुमान चालीसा का भी पाठ कर सकते हैं।
8 हनुमान चालीसा के पाठ के पूर्ण हो जाने के पश्चात आप हनुमान जी को भोग के रूप में पान का पत्ता चढ़ाएं।
9 मंत्रोचारण और भोग लगाने के बाद अब भगवान हनुमान को ध्यान लगाएं और उनका सुमिरन करें।
10 अब अंत में वहां उपस्थित सभी प्रसाद को हाथों में ले लें और हनुमान कवच यंत्र को गंगा जल से धो के धारण कर लें।