पूरे देश में गणेश चतुर्थी का पर्व बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन व्रत कथा पढ़ने या सुनने का अधिक महत्व माना जाता है। यह कथा भगवान गणेश के जन्म और उनके जीवन में घटित घटनाओं से जुड़ी है। जिसके जरिए भक्तों को यह समझने में मदद मिलती है कि गणपति को विघ्नहर्ता क्यों कहा जाता है। मान्यता है कि इस कथा का पाठ करने या सुनने से व्रती को पूरा फल मिलता है और भगवान गणेश की कृपा व आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पूरे गणेश उत्सव के दौरान कभी भी गणेश चतुर्थी व्रत कथा का पाठ किया जा सकता है। ऐसा करने से जातक को अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है। ऐसे में आप भी इस कथा को पढ़कर बप्पा की असीम अनुकंपा पा सकते हैं।
गणेश चतुर्थी की व्रत कथा का पाठ किया जा सकता है। ऐसा करने से इसका अक्षय फल प्राप्त होता है। इस साल गणेश उत्सव 27 अगस्त से शुरू हो रहा है, ऐसे में इस कथा को पढ़कर आप भी बप्पा की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं। यह कथा न सिर्फ आध्यात्मिक लाभ देती है, बल्कि हमारे मन में आस्था और समर्पण की भावना को भी मजबूत करती है।
व्रत कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार मां पार्वती ने भगवान शिव से संतान सुख की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की। भगवान शिव ने देवी पार्वती को आश्वासन दिया और भगवान गणेश का जन्म हुआ। भगवान गणेश का जन्म चमत्कारिक और अद्भुत तरीके से हुआ था। माना जाता है कि एक दिन मां पार्वती स्नान कर रही थीं, उन्होंने अपने शरीर की सफाई के लिए उबटन का इस्तेमाल किया। इस उबटन को शरीर पर मलने के बाद उससे एक बालक की रचना की।
मां पार्वती ने इस बालक का नाम विनायक रखा। लेकिन आगे चलकर भगवान शिव और विनायक का विवाद हो गया। जिस पर भगवान शिव नाराज हो गए और उन्होंने क्रोधवश विनायक का सिर धड़ से अलग कर दिया। बाद में विनायक के सिर पर हाथी का मस्तक लगाया गया और इस तरह से उनका पुनर्जन्म हुआ। तब विनायक का नाम गणपति रखा गया। जिस दिन गणपति को नया जन्म मिला, उस दिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि थी। इस वजह से आज भी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी पर इस कथा का पाठ करने या सुनने से व्रत करने वाले को पूरा फल मिलता है। वहीं भगवान गणेश व्यक्ति के दुख-दर्द को दूर करके उसको सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।