फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाएगा। इस बार 13 मार्च 2025 दिन गुरुवार को होलिका दहन किया जाएगा। बता दें कि होलिका दहन की तिथि 13 मार्च को सुबह 10:35 मिनट से शुरू होगी और तिथि की समाप्ति 14 मार्च को दोपहर 12:23 मिनट पर होगी। हिंदू धर्म में होलिका दहन का विशेष महत्व बताया जाता है। वहीं जिन जातकों पर शनि की साढ़े साती चल रही है, उनको भस्म स्नान करने के साथ घर पर ढुंढिशा राक्षसी का पूजन करने की सलाह दी जाती है।
होलिका दहन रात्रि के समय किया जाता है और इसलिए 13 मार्च को यह पर्व मनाया जाएगा। वहीं कुछ विशेष राशियों के लोगों को पिंगल व काल मुक्त संवत्सर के अनुसार होलिका की अग्नि की पहली लपट में आसपास नहीं रहने की सलाह दी गई है। होलिका की अग्नि में लोगों को अपने ऊपर से काले तिलों या नारियल को उल्टा उतारकर जलाने से बाधाएं और भय दूर होती है।
इस दौरान ऊं होलिकाए नम: का उच्चारण करें और ढुंढिशा राक्षसी का पूजन कर होलिका की लाई जाने वाली आग में उसको जला दें। होलिका की परिक्रमा करने से पाप, ताप और संताप मिट जाते हैं। वहीं शनि की साढ़ेसाती हो तो जब होलिका की आग ठंडी पड़ जाए, तो उसमें भस्म स्नान करें। इससे भी लाभ मिलता है।
होलिका दहन की विधि
बता दें कि होलिका के पास पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं। अब कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तान या फिर सात बार परिक्रमा करते हुए लपेटें। अब रोली चावल से तिलक कर घर पर बने मिष्ठान और देसी घी की अठावरी का भोग लगाएं। फिर जल अर्पित करें और होलिका और भक्त प्रहलाद की जय करें। अब पूजन के बाद शुद्ध जल लेकर परिक्रमा कर अर्घ्य दें। होलिका में आहुति के लिए नारियल, भुट्टे या सप्तधान्य, कच्चे आम और नई फसल का कुछ भाग डालें।