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Shani Dev Mandir: शनिदेव के इन 5 फेमस मंदिरों में उमड़ती है भक्तों भीड़, दर्शन मात्र से दूर होते हैं सभी दोष

By Astro panchang | May 09, 2024

भगवान शनिदेव ग्रहों में सबसे प्रभावशाली हैं। इसलिए भक्त शनिदेव की पूजा-अर्चना के दौरान विशेष सावधानी बरतते हैं। वहीं शनि की कुदृष्टि से बचने के लिए लोग शनिवार के दिन उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता के मुताबिक जिस भी व्यक्ति पर भगवान शनिदेव की कृपा हो जाती है, वह व्यक्ति रंक से राजा बन जाता है। भारत में शनिदेव के कुछ ऐसे मंदिर हैं, जहां पर भगवान शनि की पूजा व दर्शन करने के लिए भक्तों की लंबी लाइन लगती है।

इसके अलावा इन मंदिरों के बारे में कहा जाता है कि जो भी जातक शनिदेव के इन मंदिरों में आकर दर्शन करता है, उस व्यक्ति के ऊपर से शनि दोष दूर हो जाते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको शनिदेव के कुछ फेमस मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां पर शनिदेव के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

महाराष्ट्र में स्थित मंदिर
महाराष्ट्र में स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर काफी फेमस मंदिर है। इस मंदिर में दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं। यहां पर करीब 5 फीट 9 इंच और 1 फीट 6 इंच चौड़ी शनिदेव की मूर्ति है।

दिल्ली में स्थित मंदिर
बता दें कि दिल्ली से थोड़ी दूर कोसीकलां पर शनिदेव का मंदिर स्थित है। इस मंदिर के आसपास नंदगांव, बरसाना और श्रीबांके बिहारी का भी मंदिर है। कहा जाता है कि जो भी भक्त एक बार इस मंदिर में आकर परिक्रमा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

इंदौर में स्थित मंदिर
इसके साथ ही इंदौर में भी शनिदेव का एक प्राचीन और चमत्कारिक मंदिर है। मान्यता के मुताबिक इंदौर में स्थापित इस मंदिर में शनिदेव स्वयं अवतरित हुए थे। इस मंदिर के इतिहास के बारे में बताया जाता है कि यहां पर करीब 300 साल पहले एक 20 फुट ऊंचा टीला था।

तमिलनाडु में स्थित मंदिर
तमिलनाडु के तिरुनल्लर में शनिदेव को समर्पित मंदिर नवग्रह मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि जो भी जातक इस मंदिर में आकर पूजा-अर्चना करता है, उसके ऊपर से शनि का प्रकोप खत्म हो जाता है।

मध्य प्रदेश में स्थित मंदिर
मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में शनिदेव का एक प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर को शनिश्चरा मंदिर कहा जाता है। मान्यता के मुताबिक हनुमान जी ने शनिदेव को लंका से यहां फेंका था। तभी से शनिदेव यहां पर विराजमान हैं। इस मंदिर में शनिदेव को तेल अर्पित करने के बाद गले मिलने की प्रथा है।
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