सनातन धर्म में देवी-देवताओं और ग्रहों की खास कृपा पाने के लिए जप-व्रत का नियम है। विधि-विधान से पूजा और व्रत करने से मन, शरीर और आत्मा शुद्ध होती है और देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। यही वजह है कि प्राचीन काल से ऋषि-मुनि व्रत रखने की परंपरा का पालन करते आ रहे हैं। हिंदू धर्म में हर दिन किसी न किसी देवता या ग्रह को समर्पित होता है। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और गुरु ग्रह को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको गुरुवार व्रत नियम के बारे में बताने जा रहे हैं। साथ ही यह भी जानेंगे कि गुरुवार व्रत से जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु और बृहस्पति ग्रह की कृपा कैसे मिलती है।
कब और कितने रखना चाहिए गुरुवार व्रत
अगर आप भी पहली बार गुरुवार का व्रत करने जा रहे हैं, तो आप अपनी इच्छा और आस्था के हिसाब से दिन चुन सकते हैं। आप 5,11,21,51 और 101 आदि दिनों तक व्रत कर सकते हैं। पहली बार यह व्रत करने जा रहे हैं तो आपको पुष्य नक्षत्र में पड़ने वाले गुरुवार से शुरू करना चाहिए।
इस व्रत को रखने का सबसे अहम नियम यह है कि पौष माह में इस व्रत को नहीं करना चाहिए। आप किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार को व्रत शुरू करें। आपको यह व्रत 16 गुरुवार तक करना होता है। वहीं इसे लगातार 3 साल तक भी रखा जा सकता है।
गुरुवार व्रत विधि
गुरुवार का व्रत करने के लिए हल्दी, गुड़, एक केला, दाल और भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर की जरूरत पड़ेगी। अगर घर के आसपास केले का पेड़ है, तो उसकी पूजा भी कर सकते हैं। इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि कर लकड़ी की चौकी पर एक पीला कपड़ा बिछाएं। फिर उस पर भगवान श्रीहरि की तस्वीर को स्थापित करें। अब विष्णु भगवान की मूर्ति को स्नान कराएं।
अब भगवान विष्णु को पीले चावल अर्पित करें और मंत्रों व श्लोकों का जाप करें। गुरुवार का व्रत कथा का पाठ करें और पूजा करते समय घी का दीपक जलाएं। इस दिन पीले रंग की मिठाई का भगवान बृहस्पति को भोग लगाएं।
व्रत वाले दिन पीले रंग के कपड़े पहनना चाहिए और गुरु बृहस्पति की पूजा करने के बाद भोजन ग्रहण करना चाहिए। जिस दिन से आप गुरुवार व्रत की शुरुआत करें। इस दिन बालों में शैंपू न करें और नमक वाला भोजन नहीं करना चाहिए। विधि-विधान से गुरु बृहस्पति और विष्णु भगवान का पूजन करें और कथा पढ़कर अपना व्रत समाप्त करें।
केले के पेड़ की पूजा करें और घी का दीपक जलाएं। इसके साथ ही केले के पेड़ पर चावल, हल्दी और चना दाल चढ़ाएं। भगवान श्रीहरि को प्रसन्न करने के लिए मंत्रों का जाप करें और पीले रंग के वस्त्रों का दान करें।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास माना जाता है। इसलिए गुरुवार को गाय को रोटी जरूर खिलाना चाहिए। गुरुवार को गाय को रोटी और गुड़ खिलाने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं।
गुरुवार के दिन उड़द की दाल और चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन श्रीहरि की पूजा के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को पीला कपड़ा, गुड़, चने की दाल और केला आदि अर्पित करना चाहिए।