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धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी है जनेऊ पहनना लाभकारी, जानें इसे पहनने के फायदे और नियम

By Astro panchang | Aug 07, 2020

हिन्दू धर्म में जनेऊ को बहुत पवित्र माना जाता है। इसे सनातन धर्म की पहचान भी माना जाता है। जनेऊ कोई साधारण धागा नहीं होता है, यह एक व्यक्ति को इश्वर से जोड़ने की कड़ी है। जनेऊ या उपनयन हिन्दू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक है। हिन्दू धर्म के अनुसार जनेऊ पहनना और उसके नियमों का पालन करना हर हिन्दू का कर्त्तव्य होता है। जनेऊ पहनने के पीछे ना केवल धार्मिक बल्कि कई वैज्ञानिक कारण भी हैं। कई शोधों में यह पाया गया है कि जनेऊ पहनना  स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। यह व्यक्ति को कई बीमारियों से बचाता और उसके आध्यात्मिक ज्ञान को भी बढ़ता है जिससे उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। आज के इस लेख में हम आपको जनेऊ पहनने के लाभ और उससे जुड़े नियमों के बारे में बताएंगे। 

जनेऊ पहनने के लाभ -
 
हृदय रोग और ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं होती 
एक रिसर्च में पाया गया है कि जनेऊ पहनने वाले लोगों को हृदय रोग और ब्लडप्रेशर की समस्या नहीं होती है। रिसर्च के मुताबिक कान पर जनेऊ लपेटने से शरीर की नसें दबती हैं और शरीर में खून का प्रवाह कंट्रोल में रहता है। 

बीमारियों से बचाव  
जनेऊ धारण करने वाले को कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है। इनमें से एक नियम के अनुसार जनेऊ पहनने वाले लोग मल-मूत्र त्याग करते वक्त मुंह बंद रखते हैं। ऐसा करने से वे खुद को गंदी जगहों पर पाए जाने वाले जीवाणुओं और कीटाणुओं से होने वाली बीमारियों से आसानी से बचा सकते हैं। 

किडनी की सुरक्षा 
जनेऊ धारण करने के नियम के अनुसार जनेऊ पहनने वाले व्यक्ति को ना ही खड़े होकर पानी पीना चाहिए और ना ही मल-मूत्र त्याग करना चाहिए। इन दोनों  नियमों का पालन करने से किडनी पर प्रेशर नहीं पड़ता। 

कब्ज की शिकायत दूर होती है 
जनेऊ को कान के ऊपर कसकर लपेटने से कान के पास से गुजरने वाली उन नसों पर भी दबाव पड़ता है जिनका संबंध सीधे आंतों से है। इन नसों पर दबाव पड़ने से कब्ज की समस्या नहीं होती है।

स्मरण शक्ति तेज़ होती है 
कान के ऊपर जनेऊ रखने से स्मरण शक्ति तेज़ होती है। इसके पीछे एक वैज्ञानिक आधार भी है जिसके मुताबिक कान के ऊपर कर कर जनेऊ बांधने से दिमाग की वो नसें खुल जाती हैं जिनका संबंध स्मरण शक्ति से होता है। 

बुरे कर्मों से बचाव 
जनेऊ पहनने से व्यक्ति को पवित्रता का एहसास होता है। जनेऊ पहनने से मन शांत रहता है जिससे व्यक्ति अपने अच्छे-बुरे कर्मों के बारे में सोच पाता है और गलत काम करने से खुद को बचा पाता है। 

आध्यात्म‍िक ऊर्जा का विकास 
जनेऊ एक बहुत ही पवित्र सूत्र है और इसमें प्रभु का वास माना जाता है। जनेऊ व्यक्ति को उसके कर्तव्यों की याद दिलाती है और उसकी आध्यात्म‍िक ऊर्जा का विकास होता है।


जनेऊ पहनने के नियम - 

हिन्दू धर्म के अनुसार जनेऊ बहुत पवित्र होता है। मल-मूत्र विसर्जन से पहले जनेऊ को दाहिने कान पर चढ़ा लेना चाहिए और हाथ साफ़ करके ही उतारना चाहिए। 

जनेऊ कमर से ऊंचा होना चाहिए जिससे वह अपवित्र ना हो। 

जनेऊ पहनते समय ध्यान रखें कि अगर जनेऊ का कोई तार टूट जाए या 6 महीने से अधिक समय हो जाए तो इसे बदल देना चाहिए। 

जनेऊ हमेशा साफ होना चाहिए। जनेऊ के धागे कच्चे और गंदे होने से पहले ही इसे बदल देना उचित रहता है। 

जन्म या मरण सूतक के बाद जनेऊ को बदल देना चाहिए। केवल पुरुष ही नहीं महिलाऐं भी जनेऊ धारण कर सकती है। लेकिन महिलाओं को हर महीने मासिक धर्म के बाद जनेऊ को बदल देना चाहिए। 

जनेऊ शरीर से बाहर नहीं निकाला जाता। यदि साफ करना हो तो उसे कण्ठ में पहने रहकर ही घुमाकर धो लेते हैं। 

यदि भूल से जनेऊ उतर जाए तो प्रायश्चित की एक माला जप करने या बदल लेने का नियम है।
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