हिंदू धर्म में दिशाओं का विशेष महत्व माना जाता है। हर दिशा किसी न किसी ग्रह, देवता या ऊर्जा से जुड़ी होती है। जिसका असर हमारे जीवन की गतिविधियों, स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति पर भी पड़ता है। वहीं भोजन करने के दौरान आपको दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जिससे किसी भी तरह का दोष न लगे। जब हम अपनी दैनिक कामों में दिशा का सही चयन करते हैं, तो हमें संतुलन, सकारात्मक और शुभ फल प्रदान करता है।
वहीं गलत दिशा में मुख करके किया गया कार्य न सिर्फ जीवन में बाधाओं को लेकर आता है, बल्कि निगेटिव एनर्जी को भी बढ़ावा दे सकता है। ऐसी ही एक मान्यता यह है कि अगर कोई व्यक्ति विशेषकर महिलाएं भोजन करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके बैठती हैं, तो इससे पितृ दोष लग सकता है। क्योंकि दक्षिण दिशा यमराज और पितृलोक की दिशा मानी जाती है।
दक्षिण दिशा का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक दक्षिण दिशा यमराज यानी की मृत्यु के देवता की दिशा मानी जाती है। दक्षिण दिशा पितृलोक से जुड़ी होती है। यही वजह है कि पितरों से जुड़े कई कार्यों, विशेषकर श्राद्ध कर्म या पिंडदान आदि दक्षिण दिशा में मुंह करके ही किया जाता है। इसका उद्देश्य पितरों को श्राद्ध देना और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना होता है। आम जीवन में भी आपके घर को दक्षिण दिशा के स्थान को पितरों से जोड़ा जाता है। वहीं अगर आप पितरों की तस्वीर घर पर रखती हैं, तो दक्षिण दिशा में लगाने की सलाह दी जाती है।
भोजन और दिशा संबंध
भोजन करना सिर्फ शरीर को पोषण देने की क्रिया नहीं बल्कि यह आध्यात्मिक और मानसिक ऊर्जा का भी स्त्रोत है। शास्त्रों में बताया गया है कि जिस दिशा में मुख करके भोजन किया जाता है, वह दिशा व्यक्ति की सोच, ऊर्जा और स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। ऐसे में अलग-अलग दिशाओं की ओर मुंह करके भोजन करने का अलग महत्व और मतलब होता है। पूर्व दिशा को स्वास्थ्य, सकारात्मकता और ज्ञान की ऊर्जा मानी जाती है। उत्तर दिशा को मानसिक संतुलन और धन से जोड़ा जाता है। वहीं पश्चिम दिशा को कर्मों और परिणाम की दिशा मानी जाती है।
पितृ दोष
शास्त्रों में यह बात स्पष्ट नहीं है कि दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके खाना खाने से पितृ दोष लगता है। लेकिन सामान्य जीवन के लिए यह दिशा भोजन के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती है। क्योंकि दक्षिण दिशा में पितरों से जुड़े काम किए जाते हैं। इस दिशा की ऊर्जा स्थिर और भारी होती है। ऐसे में इस दिशा में मुंह करके भोजन करने से शरीर में नकारात्मकता बढ़ती है। लेकिन जब पितृ तर्मण, श्राद्ध कर्म या पितरों के लिए कोई अनुष्ठान किया जाता है, तो दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके भोजन किया जाता है। यह दिशा पवित्र मानी जाती है और पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक होती है।
पितृ दोष का कारण
ज्योतिष की मानें तो पितृ दोष तब लगता है, जब हमारे पूर्वजों की आत्मा किसी न किसी बात पर असंतुष्ट रहती है, या फिर उनके कर्म अधूरे रह जाते हैं। पितृ दोष कुंडली में राहु, शनि या सूर्य की विशेष युति के कारण बनता है। पितृदोष के प्रभाव से मानसिक तनाव, जीवन में बाधाएं, करियर में रुकावट, संतान संबंधी समस्याएं और पारिवारिक कलह पैदा हो सकता है। सिर्फ दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके खाना खाना पितृदोष का कारण नहीं है। बल्कि अन्य कई कारणों की वजह से व्यक्ति को इस दोष का सामना करना पड़ सकता है।
ऐसे में अगर आप अंजाने में या दिशा ज्ञान नहीं होने पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके खाना खाते हैं, तो जरूरी नहीं है कि पितृदोष पैदा हो। लेकिन आपको बार-बार ऐसा करने से बचना चाहिए। सिर्फ दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके भोजन करना पितृ दोष का संकेत नहीं होता है, लेकिन भोजन के लिए यह दिशा सही नहीं मानी जाती है। क्योंकि इस दिशा का संबंध पितरों और यम से होता है। सिर्फ विशेष कर्मकांडों के समय ही दक्षिण दिशा में मुंह करना उचित होता है।