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इन विधि विधान के अनुसार रखें सावन के सोमवार के व्रत

By Astro panchang | Jul 18, 2020

भारत एक ऐसा देश है जो अपनी संस्कृति सभ्यता और त्योहारों के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है भारत में प्रत्येक दिन की अपनी एक पहचान होती है यहां पर छोटे बड़े हर तरह के त्यौहार बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाते हैं इसी तरह से कुछ ही दिनों में सावन की शुरुआत होने वाली है सावन के महीने में लोग महादेव की पूजा अर्चना करते हैं। 

साथ ही श्रद्धालु कावड़ भी भरते हैं यदि लोग कावड़ भरने में सक्षम नहीं होते तो वह अपनी श्रद्धा के अनुसार सावन के सारे सोमवार के दिन महादेव के नाम से व्रत रखते हैं और उनकी पूजा अर्चना करते हैं सावन सोमवार दूसरा व्रत पौराणिक महत्व, व्रत के नियम, पूजा विधि और कथा जानने से आप सावन के महिने के दूसरे सोमवार का पूरा लाभ उठा सकते हैं। सावन के महिने में जो लोग भगवान शिव की पूजा सच्चे मन और भाग से करते हैं उन्हें भगवान शिव विशेष आर्शीवाद देते हैं। 

शास्त्रों में सावन के सोमवार को विशेष महत्व दिया गया है। सावन के सोमवार पर भगवान शिव की विधिवत विधि विधान से पूजा की जाती है जो लोग सावन के दोनों में महादेव की पूजा पूरे विधि विधान से करते हैं उनका जीवन सुख और समृद्धि से भर जाता है अगर कोई अविवाहित कन्या इस व्रत को रखती है तो उसके विवाह में आ रही सभी बाधा और ग्रह दोष समाप्त होते हैं इसीलिए आज हम आपको सावन सोमवार दूसरा व्रत पौराणिक महत्व, व्रत के नियम, पूजा विधि और कथा के बारे में बताएंगे।

सावन सोमवार पौराणिक महत्व
हमारे शास्त्रों के हिसाब से  प्रत्येक दिन  किसी न किसी भगवान  का माना जाता है इसी तरह से ही सोमवार का दिन भगवान शिव का माना जाता है और सावन के समय और सोमवार को महादेव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है।सावन के सोमवार का व्रत कोई भी व्यक्ति रख सकता है। चाहें वह बच्चा हो, बुढा हो, जवान हो या कोई भी स्त्री यह व्रत रख सकती है। यह व्रत आसानी से रखा जा सकता है।
 
सावन सोमवार के व्रत की पूजा विधि भी सबसे सरल है। भगवान शिव के इस व्रत को रोजगार प्राप्त करने, पढाई, व्यापार, विदेश यात्रा या किसी भी इच्छा के लिए रखा जा सकता है। 

ज्यादातर सावन सोमवार के व्रत विवाहित महिलाएं रखती है। विवाहित महिलांए शादीशुदा महिलाएं इस व्रत को रखने से महादेव को खुश करने की कोशिश करती हैं साथ ही वे महादेव से कामना करते हैं अपने परिवार बच्चों और घर परिवार के लिए कि सभी लोग स्वस्थ रहें और हमेशा तरक्की करते रहें इसी के साथ नविवाहित महिलाएं इस व्रत को संतान प्राप्ति के लिए भी रखती हैं। 

सावन सोमवार का व्रत कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं। जिससे उन्हें एक सुयोग्य और भगवान शिव की तरह ही पति की प्राप्ति हो सके। वहीं कुछ लोग इसे स्वास्थय लाभ के लिए भी रखते हैं। माना जाता है कि सावन के सोमवार का व्रत रखने सभी प्रकार के रोग समाप्त हो जाते हैं। किसी भी तरह का रोग आपके शरीर में नहीं रहता आप जीवन भर के लिए रोग मुक्त हो जाते हैं।

सावन सोमवार व्रत के नियम 
इस व्रत को रखने के लिए ज्यादा कोई कठिन नियम नहीं होते लेकिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए थोड़ी मशक्कत करना तो हमारा कर्तव्य बनता है सबसे पहले सावन के व्रत में सुबह जल्दी उठकर नहा कर सफेद रंग के कपड़े पहनने चाहिए उसके बाद महादेव के मंदिर में जाकर विधि विधान से पूजा करनी चाहिए ऐसा करने से महादेव बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हो जाते हैं महादेव को और ज्यादा प्रसन्न करने के लिए शिव का जल जलाभिषेक कराना और साथ ही भगवान जी शिव कथा सुनना बहुत ही ज्यादा शुभ होता है। 

इस व्रत को बहुत ही श्रद्धा और अच्छे मन से रखना चाहिए इसकी शुरुआत सावन के सोमवार के दिन सूर्य उदय से होती है और शाम को सूर्यास्त तक इस व्रत को रखा जाता है। इस व्रत में क्रोध, किसी से भी ईर्ष्या करना, झूठ बोलना आदि सभी कुकर्मां से अपने आपको दूर रखना चाहिए और भगवान शिव का पूरे दिन स्मरण करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार सावन सोमवार का व्रत करने से साल के सभी सोमवारों के व्रत का फल मिल जाता है।

सावन सोमवार की पूजा विधि 
सावन के सोमवार को ब्रह्ममुहूर्त में उठना चाहिए। सही समय पर स्नान करना चाहिए साथ ही सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए। उसके बाद भगवान शिव के मंदिर में जाकर उनकी पूजा करनी चाहिए साथ ही भगवान शिव की कथा सुननी चाहिए। इसके बाद भगवान शिव को आकड़े के फूल, बेलपत्र, धतूरा और भांग अर्पित करनी चाहिए। यह सभी चीजें अर्पित करने के बाद भगवान शिव को जल में शहद मिलाकर जलाभिषेक करना चाहिए। 

इसके बाद वहीं बैठकर भगवान शिव के मंत्रों का जाप करना चाहिए और शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने पर महादेव बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हो जाते हैं, धूप, दीप से गणेश जी की आरती करें। प्रसाद के रूप में भगवान शिव को घी शक्कर का भोग लगाएं। इसके बाद शाम के समय प्रदोष काल में सावन सोमवार के व्रत का पारण करना चाहिए। अंत में भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।

सावन सोमवार की तारीखें
 दिन              तारीख
सावन का पहला सोमवार 06 जुलाई 2020
सावन का दूसरा सोमवार 13 जुलाई 2020
सावन का तीसरा सोमवार 20 जुलाई 2020
सावन का चौथा सोमवार 27 जुलाई 2020
सावन का पांचवा सोमवार 03 अगस्त 2020

सावन व्रत कथा 
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी के पुत्र नारद मुनि ने भगवान शिव से कहा कि हे भगवान! आपको सावन मास इतना अधिक प्रिय क्यों हैं कृपया बताएं। इस पर भगवान शिव कहते हैं कि सनो नारद देवी सती ने मुझे हर जन्म में पति रूप में पाने के लिए प्रतिज्ञा की थी।
 
इसके लिए उन्होंने अपने पिता के क्रोध को भी सहन किया था। एक बार उनके पिता ने भगवान शिव का अपमान किया था। जिसकी वजह से उन्होंने अपने शरीर को अग्नि में जलाकर भस्म कर दिया था। इसके बाद उन्होंने हिमालय और नैना के यहां पुत्री रूप में जन्म लिया था। 

इस जन्म में उनका नाम पार्वती है। शिव से विवाह के लिए देवी ने सावन माह में निराहार रहते हुए कठोर व्रत से भगवान शिवशंकर को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया। इसलिये सावन मास से ही भगवान शिव की कृपा के लिये सोलह सोमवार के उपवास आरंभ किये जाते हैं।
 
माना जाता है कि अगर कोई विवाहित महिला सोलह सोमवार का व्रत करती है तो उसके उसके वैवाहिक सुख में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आती और अगर कोई कुंवारी कन्या इस व्रत को करती है तो उसे उसका मनचाहा वर प्राप्त होता है। 

सावन सोमवार की पूजा में इन बातों का रखें विशेष ध्यान
शिवजी की पूजा में केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि केतकी के फूल चढ़ाने से भगवान शिवजी नाराज होते हैं। इसके अलावा, तुलसी को कभी भी भगवान शिवजी को अर्पित नहीं किया जाता है। साथ ही शिवलिंग पर कभी भी नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए। भगवान शिवजी को हमेशा कांस्य और पीतल के बर्तन से जल चढ़ाना चाहिए।
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