हजारों साल पहले हमारा भारतीय ज्ञान इतना अधिक समृद्ध था कि आज भी आधुनिक युग का विज्ञान भी कई बार उस स्तर को नहीं समझ पाता है। इनमें से एक 79 डिग्री देशांतर रेखा है, जिसको शिव शक्ति रेखा के नाम से भी जाना जाता है। इसकी वजह यह है कि भारत में सीधी रेखा में 2 ज्योतिर्लिंग के अलावा 7 शिवालय स्थित है। मान्यता है कि यह पृथ्वी की आध्यात्मिक ऊर्जा रेखा पर बने हैं। जहां पर शिव और शक्ति की ऊर्जाएं संतुलित रूप से प्रवाहित हो रही हैं। वहीं दो ज्योतिर्लिंग के अलावा यहां पर बने हुए 5 प्रमुख शिवालय पंच तत्व जैसे पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश का प्रतिनिधित्व करते हैं।
बता दें कि हजारों साल पहले बने इन मंदिरों को उस दौरान एक सीध में बनाया गया था, जब दुनिया के दूसरे देश के लोगों को भी देशांतर और अक्षांश का ज्ञान नहीं था। वहीं इस रेखा के उत्तरी में सबसे ऊपर केदारनाथ ज्योतिर्लिंग हैं और दक्षिणी छोर पर रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग बना है। रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी।
जानिए कौन से हैं ये मंदिर
केदारनाथ धाम
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम मंदिर उत्तर भारत में पड़ता है। इसके बाद 2,400 किमी की दूरी पर स्थित बाकी मंदिरों का एक सीधी रेखा में बनना भारतीय ज्ञान को दर्शाने का काम करता है।
श्रीकालाहस्ती मंदिर
बता दें कि यह मंदिर वायु तत्व का प्रतीक है। यहां पर स्थापित स्वयंभू और जीवित लिंग माना जाता है। इस मंदिर के पास जल रही दीपक की लौ हवा चलने के बाद भी नहीं बुझती है।
एकाम्बेश्वरनाथ मंदिर
यह मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है, जोकि पृथ्वी तत्व का प्रतीक है। एकाम्बेश्वरनाथ मंदिर भगवान शिव के प्रमुख मंदिरों में गिना जाता है। यहां का शिवलिंग रेत से बना है, जोकि पृथ्वी की दृढ़ता को दिखाता है।
अरुणाचलेश्वर मंदिर
तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में स्थित अरुणाचलेश्वर मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर भगवान शिव अग्नि के रूप में प्रकट हुए थे। इसलिए इसको अग्नि तत्व का प्रतीक माना जाता है।
जम्बुकेश्वर मंदिर
तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में स्थित यह मंदिर में गर्भगृह में भूमिगत जल धारा से शिवलिंग पानी में डूबा रहता है। इस कारण जम्बुकेश्वर मंदिर को जल तत्व से जुड़ा माना जाता है।
थिल्लई नटराज मंदिर
थिल्लई नटराज मंदिर भी तमिलनाडु के चिदंबरम में स्थित है। इस मंदिर को आकाश तत्व का प्रतीक माना जाता है। थिल्लई नटराज मंदिर में भगवान शिव को निराकार रूप में पूजा जाता है और यह मंदिर भगवान शिव के नटराज स्वरूप को समर्पित है।
रामेश्वरम मंदिर
माना जाता है कि भगवान श्रीराम ने रावण के खिलाफ युद्ध करने के लिए लंका पर चढ़ाई से पहले यहां पर पूजा की थी। रामेश्वरम मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है।