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एक साथ उल्टी पड़ने वाली है 6 ग्रहों की चाल,जानिए कैसे होंगे परिणाम

By Astro panchang | Apr 28, 2020

हिन्दू धर्म में ज्योतिषशास्त्र में कुल 9 ग्रह बताए गए हैं कुण्डली के अनुसार सभी ग्रहों का असर जीवन और समाज पर होता है। इनमें 2 ग्रह राहु और केतु हमेशा ही उलटी चाल चलते हैं, और सूर्य एवं चंद्रमा हमेशा सीधी चाल से चलते हैं। बाकी 5 ग्रह उल्टी और सीधे होते रहते हैं। इस वर्ष मई जून में ग्रहों का अलग संयोग बना रहा है, जब राहु-केतु को छोड़कर चार अन्य ग्रह उल्टी चाल से चलेंगें इसे ग्रहों की प्रतिगामी चाल कहते हैं। इस बीच काल सर्प योग भी हावी रहेगा। ज्योतिशास्त्र की दृष्टि से ग्रहों की ऐसी स्थिति अशुभ होती है। पूरा विश्व इन दिनों एक गंभीर संकट का सामना कर रहा है, ऐसे समय मे चिंता का विषय है कि आखिर ग्रहों की परिस्थितियों से क्या संकट आयेगा।

किस ग्रह की होगी क्या परिस्थिति
11 मई को शनि ग्रह अपनी राशि मकर में उल्टा हो जाएंगा। इसके बाद 13 मई को शुक्र और फिर 14 मई को बृहस्पति भी उल्टे हो रहे हैं। इसके अलावा, 18 जून को बुध उलटी चाल से चलने लगेगा। ज्ञात होता है, कि 18 जून से 25 जून के बीच ये चारों ग्रह एक ही समय पर प्रतिगामी रहेंगे। ग्रहों की यह स्थिति 15 जुलाई तक कालपुरुष कुंडली में बने काल सर्प दोष के साथ परस्पर व्याप्त होती है, जिसका परिणाम बुरा सिद्ध हो सकता है।

प्रतिगामी शनि
उल्टा चलता शनि उन कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए शक्ति प्रदान करते है, जिन्हें बीते समय में अधूरा छोड़ दिया गया था। शनि भारत की कुंडली में नौवें और दसवें स्थान पर स्वामी हैं, शनि 11 मई से 29 सितंबर तक मकर राशि में वक्री रहेंगे। शनि की ये चाल जिम्मेदारियों और काम के बोझ के साथ एक कठिन समय को दर्शाता है। लेकिन यह लोगों को अपने कौशल को अधिक निखारने और व्यवहार को सुधारने का अवसर देता है। कोरोनावायरस के कारण आने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए कोई उपाय निकल सकते हैं।

शुक्र के परिणाम
शुक्र विलासिता, आराम, सौंदर्य और खुशी की भावना का ग्रह है। भारत की कुंडली में वह पहले और छठे स्थान का स्वामी हैं। शुक्र 13 मई से 25 जून तक वृष राशि में उल्टे चलेंगे। जो भारत की कुंडली के पहले स्थान में स्थित हैं। इस अवधि के दौरान लोगों की सामान्य मानसिकता में सुधार होगा, और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी स्वरूप में सुधार होगा। यात्रा और विदेशी उद्योग को दोबारा शुरू करने के लिए समर्थन और उत्साह मिल सकता है। साथ ही भारत के सम्मान को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा मिलेगा।

बृहस्पति के परिणाम
बृहस्पति ज्ञान और बुद्धिमत्ता का ग्रह हैं। प्रतिगामी चाल में उनके अच्छे परिणाम लाने की शक्ति कई गुना ज्यादा बढ़ जाती है। बृहस्पति भारत की कुंडली में आठवें और ग्यारहवें स्थान के स्वामी है। और 14 मई से 13 सितंबर तक मकर राशि में उल्टे रहेंगे जो भारत की कुंडली के नौवें घर में बैठे हैं। इस समय देश में उन कार्यों और योजनाओं को दोबारा से शुरू करने की शक्ति बढ़ती है।

बुध के परिणाम
बुध वह ग्रह है जो व्यापार, संचार व्यवस्था एवं नयी सोच का चिह्न है। भारत की कुंडली में, बुध दूसरे और पांचवें स्थान के मालिक हैं। यह 18 जून से 12 जुलाई के बीच वृषभ राशि में उल्टे रहेंगे, जो भारत की कुंडली के पहले स्थान में बैठा है। इस समय  कोरोनो वायरस के प्रभाव को हटाने के लिए नए विचार और प्रभाव सामने आ सकते हैं। बात है कि 18 जून से 25 जून के बीच चार ग्रह – शनि, बृहस्पति, शुक्र और बुध – एक ही समय में उल्टी गति में होंगे जो वहम और अराजकता पैदा कर सकते हैं।

आखिर क्या है, ग्रहों की प्रतिगामी गति?
सभी ग्रह पृथ्वी के साथ-साथ सूर्य के चारों ओर घूमते रहते हैं। लेकिन संसार के नजरिये से ऐसा लगता है, की पृथ्वी रुकी हुई है,सभी ग्रह केंद्र के रूप में पृथ्वी के साथ घूम रहे हो। यह सिर्फ एक दृष्टीय भ्रम है। इसलिए ग्रह रुकते हुए लगते हैं, और ऐसा महसूस होता है,पीछे की ओर जाते हैं, फिर से रुकते हैं और आगे जाते हैं जिसे सीधा चाल कहते हैं। पांच ग्रह, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र और शनि दोनों प्रत्यक्ष और प्रतिगामी गति में चलते हैं।

इस गति के क्या होते हैं प्रभाव?
प्रतिगामी ग्रह अक्सर उल्टे रूप से अच्छे और बुरे दोनों परिणाम देते हैं। इस गति में अन्य ग्रह पृथ्वी के अधिक निकट प्रतित होते हैं। इसलिए इनका प्रभाव अधिक महसूस होता है। इस गति में ग्रहों के  तत्वों की  कमी महसूस होती है। ऐसी परिस्थितियों में कुंडली में जिस घर में उल्टे ग्रह होते हैं,उनके परिणाम सीधे नहीं हो पाते हैं। इसलिए उल्टे ग्रहों के समय मे कोई भी शुभ कार्य आदि शुरू नही करना चाहिए।
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