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Astrology Tips: हरिद्वार में विराजमान हैं मां दुर्गा की 24 शक्ति धारा, जानिए इनका महत्व

By Astro panchang | Jul 09, 2025

नवरात्रि का पर्व पूरे 9 दिनों का त्योहार है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का महापर्व बहुत की पवित्र और शुभ फल देने वाला माना गया है। इस दौरान लोग श्रद्धा और भक्ति के इस पर्व में श्रद्धा और यथाशक्ति मां भगवती की पूजा-आराधना करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हरिद्वार में एक स्थान ऐसा है, जहां पर 24 शक्ति धारा विराजमान हैं। बता दें कि हरिद्वार के उत्तर में सप्त सरोवर विस्तार में ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान में यह 24 शक्ति धाराएं हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इन 24 शक्ति धाराओं के बारे में बताने जा रहे हैं।

मां दुर्गा की शक्तियां

आद्यशक्ति

आद्यशक्ति अर्थात सृष्टि की मूल चेतना। आदिदेव ॐ कार के रूप में इसको प्रथम और सर्वोपरि पूज्य माना गया है। इसी को परब्रह्म भी कहा जाता है। यहां पर एक मुख्य मंदिर है, जिसको ज्ञान मंदिर के तौर पर निर्मित किया गया है। 

ब्राह्मी

ब्राह्मी को सद्ज्ञान, महाविद्या और सुविचार से परिभाषित किया जाता है। इनको सृजनात्मक सद्वृत्तियों के प्रसुप्त बीजों को जगाने और उगाने वाली महाशक्ति माना जाता है।

वैष्णवी

वैष्णवी को व्यवस्था और बुद्धि का पर्याय माना गया है। वैष्णवी इस संसार की सुव्यवस्था करने वाली और परिपोषण करने वाली विश्वंभर शक्ति हैं।

शांभवी

शांभवी अवांछनीयता का निवारण करने वाली एक परिवर्तनकारी शक्ति हैं। यह सृष्टि का संतुलन करती हैं। साथ ही अपने प्रभाव से जातक के जीवन में कर्म, गुण और स्वभाव का परिष्कार करती हैं।

वेदमाता

वेदमाता को समस्त ज्ञान की ज्ञाता कहा जाता है। इनको वेदविद्या की कुंजी भी कहा गया है।

देव माता

देव माता देवत्व को जन्म देने वाली देवोपम स्तर की मन:स्थिति को बनाने वाली देवी हैं।

विश्व माता

इनको सार्वभौम संस्कृति के संविधान का निरूपण करने वाली देवी हैं। यह देवी वसुधैव कुटुम्बकम् के दर्शन को सार्थक करने वाली शक्ति हैं।

ऋतंभरा

सत्य- असत्य और औचित्य-अनौचित्य का वरण करने में व्यक्ति को सहायता देने वाली शक्ति हैं।

मंदाकिनी

मंदाकिनी देवी गंगा के समान पवित्र और बाह्याभ्यंतर को शुद्ध करने वाली देवी हैं।

अजपा

यह अविचल निष्ठा और निश्चल स्थिति को सिद्धि देने वाली देवी हैं।

ऋद्धि

यह आत्मिक विभूतियों से व्यक्ति को असाधारण बना देने वाली शक्ति हैं।

सिद्धि

यह वैभव की अधिष्ठात्री, समृद्ध-संपन्न और मनुष्य को प्रामाणिक बनाने वाली देवी हैं।

सावित्री

अचेतन की रहस्यमयी परतों को हटाने वाली पंचमुखी शक्ति हैं।

सरस्वती

देवी सरस्वती विद्या और बुद्धि की देवी हैं।

लक्ष्मी

देवी लक्ष्मी 'श्री' तत्त्व बढ़ाने वाले गुणों का विकास करती है।

महाकाली

असुरता का संहार करने वाली, प्रचंडता, मृत्यु की प्रतीक और प्रखरता की पर्याय रौद्रशक्ति हैं।

कुण्डलिनी

जीवन की सामान्य ऊर्जा को असामान्य में परिष्कृत करने वाली और तंत्रविद्या की अधिष्ठात्री देवी हैं।

प्राणाग्नि

जीवन शक्ति को बढ़ाकर, सामर्थ्य बढ़ाने वाली और प्राणवान बनाने वाली शक्ति हैं।

भुवनेश्वरी

विश्व और वैभव को अधिष्ठाता बना देने वाली शक्ति हैं।

भवानी

धनी बनाने वाली, व्यक्ति को युग और नेतृत्व सौंपने वाली देवी विभूति हैं।

अन्नपूर्णा

संतुलन और सद्बुद्धि देने वाली शक्ति हैं और इनकी कृपा से व्यक्ति को अभाव नहीं सताते हैं।

महामाया

भ्रांतियों का निवारण करने वाली और भव बंधनों से मुक्ति दिलाने वाली शक्ति हैं।

पयस्विनी

इनकी कृपा से साधक में ब्रह्मतेज बढ़ता है और कोई अभाव नहीं रहता है।

त्रिपुरा

ओजस्, तेजस् और वर्चस् बढ़ाने वाली देवी हैं।
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