हिंदू धर्म में वैशाख पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। यह दिन न सिर्फ भगवान विष्णु की पूजा के लिए काफी अहम माना जाता है और पितरों के लिए भी यह दिन काफी उत्तम माना जाता है। वहीं इस बार 12 मई 2025 को वैशाख पूर्णिमा मनाई जा रही है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन पितरों के निमित्त पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। तो आइए जानते हैं वैशाख पूर्णिमा पर तिथि, मुहूर्त और महत्व के बारे में...
तिथि और मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि की शुरूआत - 11 मई को रात 08.01 मिनट
वहीं पूर्णिमा तिथि की समाप्ति - 12 मई 2025 को रात 10.25 मिनट
उदयातिथि के हिसाब से 12 मई 2025 को वैशाख पूर्णिमा मनाई जाएगी।
चंद्रोदय का समय - शाम 06:57 मिनट पर
पिंडदान का महत्व
हिंदू धर्म में पिंडदान एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है। वैशाख पूर्णिमा पर पिंडदान का विशेष महत्व माना जाता है। क्योंकि यह तिथि काफी शुभ और पवित्र मानी जाती है। वैशाख पूर्णिमा को पिंडदान से पितरों को तृप्ति मिलती है और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं इस दिन पिंडदान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। वहीं परिवार में आने वाली सभी बाधाएं और समस्याएं दूर होती हैं।
वैशाख माह की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और निर्वाण हुआ था। इसलिए इस दिन बौद्ध धर्म के लोग विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। वहीं वैशाख पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की पूजा करना शुभ माना जाता है। इस दिन सत्यनारायण व्रत करने और कथा सुनने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं औऱ जातक के जीवन में खुशहाली आती है।