आज यानी की 23 जून 2025 को सोम प्रदोष व्रत रखा जा रहा है। सोम प्रदोष व्रत भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा के लिए समर्पित होता है। यह दिन शिव भक्तों के लिए बेहद खास माना जाता है। हर महीने की त्रयोदशी तिथि को यह व्रत रखा जाता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से जातक की सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। वहीं जीवन में शुभता का आगमन होता है। ऐसे में आज हम आपको सोम प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व, पूजन विधि और मंत्र आदि के बारे में बताने जा रहे हैं।
धार्मिक महत्व
हिंदुओं के बीच प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व होता है। यह तिथि शिव पूजन के लिए बेहद खास मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत करने और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से जातक के सभी पापों का नाश होता है। विशेष रूप से यह व्रत रोग मुक्ति, संतान प्राप्ति और सुख-समृद्धि के लिए बेहद खास माना जाता है।
पूजन विधि
इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदिकर साफ कपड़े पहनें और फिर पूजा घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद पूजाघर को गंगाजल से पवित्र करें। पूजा शुरू करने से पहले भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। अब एक लकड़ी की वेदी पर साफ कपड़ा बिछाकर उसपर शिव परिवार की मूर्ति को स्थापित करें। इसके बाद घी का दीपक जलाएं। फिर शिवलिंग का पंचामृत से स्नान कराएं और फिर शुद्ध जल से अभिषेक करें।
अब भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, शमी के पत्ते, भांग, आक के फूल, सफेद चंदन और अक्षत आदि अर्पित करें। इसके बाद मां पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें। फिर सोम प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें और अंत में आरती करें। पूजा के बाद भगवान शिव से पूजा में हुई भूलचूक के लिए क्षमायाचना करें।
मंत्र
ॐ नमः शिवाय॥
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥