आज यानी की 05 मई को सीता नवमी मनाई जा रही है। यह दिन सीता जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म में सीता नवमी का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मां सीता की पूजा करने से जातक के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है। मां सीता मिथिला के राजा जनक की पुत्री और अयोध्या के राजा राम की पत्नी थीं। हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी मनाई जाती है। तो आइए जानते हैं सीता नवमी पर शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व के बारे में...
तिथि और मुहूर्त
वैशाख शुक्ल नवमी तिथि का की शुरूआत- 05 मई, सुबह 07:35 पर
वैशाख शुक्ल नवमी तिथि की समाप्ति- 06 मई, सुबह 08:38 पर
पूजन विधि
इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदिकर साफ कपड़े पहनें और फिर लकड़ी की चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। इसके बाद चौकी पर मां सीता और प्रभु श्रीराम की प्रतिमा स्थापित करें। फिर हर हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर मां सीता का ध्यान करते हुए पूजा का संकल्प लें। अब श्रीराम और मां सीता का आह्वान करें। फिर मां सीता और श्रीराम को अक्षत, चंदन, मौली, सिंदूर, पुष्प, धूप, दीप, फल और मिठाई आदि अर्पित करें। इस दिन सीता नवमी की व्रत कथा पढ़ें और अंत में आरती करें।
मंत्र
ॐ सीतायै नमः।।
ॐ श्री सीतायै नमः।।
श्री सीता-रामाय नमः।।
ॐ जनकनंदिन्यै विद्महे भूमिजायै धीमहि तन्नो सीता प्रचोदयात्।।
महत्व
विवाहित महिलाओं के लिए सीता नवमी का दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन व्रत करने और पूजा करने से पति की आयु लंबी होती है और वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। मां सीता को त्याग, समर्पण और सहनशीलता की प्रतिमूर्ति माना जाता है। ऐसे में सीता नवमी पर मां सीता की पूजा करने से जातक के जीवन से खुशहाली आती है।