आज यानी की 21 मार्च 2025 को शीतला सप्तमी का पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व होली के सात दिन बाद मनाया जाता है और इसको बसौड़ा भी कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से मां शीतला की पूजा-अर्चना की जाती है। मां शीतला भक्तों को बीमारियों से सुरक्षा और घर-परिवार में सुख-शांति का आशीष देती हैं। बता दें कि मां शीतला को ठंडक प्रदान करने वाली देवी भी माना जाता है। खासकर ग्रीष्मकाल के आगमन से पहले मां शीतला की पूजा की जाती है। जिससे कि लोगों के शरीर में ठंडक बनी रहे और स्किन संबंधी बीमारियों से बचाव हो सके। शीतला सप्तमी के दिन मां शीतला को एक दिन पहले बनाया गया बासी भोजन अर्पित किया जाता है।
शीतला सप्तमी
इस बार 21 मार्च 2025 को शीतला सप्तमी का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन सूर्योदय से पहले पूजा करने का महत्व होता है। साथ ही शीतला सप्तमी के दिन ध्यान रखना चाहिए कि मां शीतला की पूजा में किसी भी प्रकार की आग का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
पूजा विधि
शीतला सप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। फिर मां शीतला की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें और उनको जल अर्पित करें। फिर मां शीतला को कुमकुम और गुलाल अर्पित करें और इसके बाद एक दिन पहले तैयार किया गया बासी भोजन मां को प्रसाद के रूप में चढ़ाएं। पूजा के अंत में घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक या अन्य शुभ चिन्ह बनाएं।
महत्व
होली के सात दिन बाद शीतला सप्तमी का पर्व मनाया जाता है और इसको बसौड़ा भी कहा जाता है। इस दिन मां शीतला की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। मां शीतला को स्वास्थ्य और ठंडक की देवी माना जाता है। विशेष रूप से इनकी पूजा ग्रीष्म ऋतु के आगमन से पहले की जाती है। जिससे कि शरीर में ठंडक बनी रहे। मां शीतला की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।