हिंदू धर्म में व्रत-त्योहारों का विशेष महत्व होता है। आषाढ़ महीने में चातुर्मास लगने के बाद भी कई व्रत किए जाते है। जो विवाहित महिलाओं के लिए बेहद फलदाई माने जाते हैं। बता दें कि हर साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को कोकिला व्रत किया जाता है। इस बार 20 जुलाई 2024 को कोकिला व्रत किया जा रहा है।
इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति व खुशहाली लेकर आता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक कोकिला व्रत में भगवान शिव और माता सती के पूजन का विधान है। तो आइए जानते हैं कोकिला व्रत का महत्व और पूजन विधि...
शुभ मुहूर्त
हर साल आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि को कोकिला व्रत किया जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक 20 जुलाई की शाम 05:59 मिनट पर आषाढ़ पूर्णिमा शुरू हो रही है। वहीं अगले दिन यानी की 21 जुलाई को दोपहर 03:46 मिनट पर इस तिथि की समाप्ति होगी। उदयातिथि के अनुसार, 20 जुलाई 2024 को कोकिला व्रत किया जा रहा है। कोकिला व्रत भगवान शिव और माता सती को समर्पित है। कोकिला व्रत में पूजन शाम को किया जाता है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07:19 मिनट से रात को 09:22 मिनट तक है।
कोकिला व्रत का महत्व
हिंदू धर्म में कोकिला व्रत को बेहद अहम और फलदायी माना जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। वहीं कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की कामना से इस व्रत को करती है। इसके साथ ही यदि किसी कन्या की शादी से किसी तरह की अड़चन आ रही है, तो उसे कोकिला व्रत किया जाना चाहिए। वहीं विवाहिताएं दांपत्य जीवन में सुख-शांति और खुशहाली के लिए यह व्रत करती है।
बता दें कि पौराणिक कथा के मुताबिक मां पार्वती अपने जन्म से पहले एक श्राप के कारण हजारों सालों तक कोयल बनकर नंदनवन में भटक रही थीं। तब उन्होंने इस श्राप से मुक्त होने के लिए भगवान शिव की पूजा-आराधना की थी। जिसके बाद मां पार्वती को श्राप से मुक्ति मिल गई। इसलिए व्रत को कोकिला व्रत कहा जाता है।