श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक हर माह अमावस्या तिथि आती है। लेकिन श्रावण माह में आने वाली अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है। इस दिन दान-पुण्य, गंगा स्नान और जाप करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। अमावस्या तिथि पर शनिदेव की पूजा का विधान होता है। तो आइए जानते हैं हरियाली अमावस्या की तिथि, पूजन विधि और महत्व के बारे में...
तिथि
श्रावण माह की अमावस्या तिथि 24 जुलाई 2025 की सुबह 02:28 मिनट से शुरू होगी। वहीं अगले दिन यानी की 25 जुलाई 2025 की दोपहर 12:40 मिनट पर इस तिथि की समाप्ति होगी। ऐसे में उदयातिथि के मुताबिक 24 जुलाई 2025 को हरियाली अमावस्या मनाई जा रही है।
पूजन विधि
इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि करके पूजा स्थल को साफ करें। फिर शिवलिंग या भगवान शिव की प्रतिमा को स्थापित करें। हाथ में जल लेकर व्रत और पूजा का संकल्प लें। अब भगवान शिव के सामने आसन लगाकर बैठें और प्रार्थना करें। शिव मंत्रों का उच्चारण करते हुए भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करें। फिर पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें और फिर शुद्ध जल से अभिषेक करें।
फिर शिवलिंग पर अक्षत, चंदन और पुष्प अर्पित करें। इसके बाद बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें। धूप-दीप जलाकर भगवान शिव की आरती करें। आरती के बाद भगवान शिव को फल और मिठाई का भोग अर्पित करें। इस दौरान 'ऊँ नम: शिवाय' मंत्र का जप करें। इस मंत्र का जप करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
धार्मिक महत्व
हरियाली अमावस्या का महत्व अनेक पुराणों और धार्मिक शास्त्रों में वर्णित है। यह दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इस लिए शिवलिंग पर धतूरा, बेलपत्र और अन्य पूजन सामग्रियां अर्पित करने से जातक को विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत रखने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।