शारदीय नवरात्रि के 8वें दिन मां महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदू धर्म में इस दिन का धार्मिक महत्व अधिक होता है। इस दिन हवन और कन्या पूजन का आयोजन किया जाता है। इसलिए शुक्ल पक्ष की अष्टमी को महाअष्टमी या दुर्गा अष्टमी के रूप में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन दुर्गा पंडालों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिलती है। बता दें कि इस बार शारदीय नवरात्रि 9 दिन की बजाय 10 दिन की हैं।
इस बार शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर 2025 से शुरू हुई थीं और 01 अक्तूबर 2025 को समाप्त होंगी। ऐसे में आज यानी की 30 सितंबर को दुर्गा अष्टमी की पूजा और व्रत किया जा रहा है। तो आइए जानते हैं दुर्गा अष्टमी पर तिथि, मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में...
तिथि और महत्व
दृक पंचांग के मुताबिक इस साल 29 सितंबर की शाम 04:31 मिनट से अश्विन शुक्ल अष्टमी तिथि की शुरूआत होगी। वहीं अगले दिन यानी की 30 सितंबर की शाम 06:06 मिनट पर अष्टमी तिथि की समाप्ति होगी। उदयातिथि के हिसाब से 30 सितंबर को दुर्गा अष्टमी की पूजा की जाएगी। वहीं इसी दिन कन्या पूजन भी किया जाएगा।
पूजा विधि
दुर्गा अष्टमी पर सुबह जल्दी स्नान आदि करने के बाद साफ कपड़े पहनें। फिर पूजा स्थल की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़कर पवित्र करें। अब मां महागौरी का गंगाजल से अभिषेक करें और उनको पूजा स्थल पर स्थापित करें। इसके बाद मां को अक्षत, लाल चंदन, लाल फूल और चुनरी अर्पित करें। वहीं भोग में मां को खीर, फल और मिठाइयां अर्पित करें। दीपक और धूप जलाकर दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें। फिर हवन करें और पान के पत्ते पर कपूर रखकर मां की आरती हैं। पूजा के अंत में भूलचूक के लिए क्षमायाचना करें।