हिंदू धर्म में पापांकुशा एकादशी का विशेष महत्व माना जाता है। हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पापांकुशा एकादशी व्रत किया जाता है। पापांकुशा एकादशी व्रत 'पापों' का नाश करती है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से जातक के जाने-अंजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही व्रती को सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको पापांकुशा एकादशी व्रत के शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और मंत्रों के बारे में बताने जा रहे हैं।
शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक 03 अक्तूबर 2025 को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:46 मिनट से दोपहर 12:34 मिनट तक रहेगा। इसके बाद रात 10:56 मिनट से रात 12:30 मिनट तक अमृत काल रहेगा। वहीं व्रत का पारण 04 अक्तूबर 2025 की सुबह 06:23 मिनट से 08: 44 के बीच किया जाएगा।
पूजन विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें और श्रीहरि भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक करें। इसके बाद भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी दल और पीली मिठाई अर्पित करें। अब धूप-दीप जलाकर आरती करें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। इस दौरान भगवान विष्णु के मंत्र 'ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम:' का जाप करें। फिर किसी गरीब व्यक्ति या ब्राह्मण को अपनी श्रद्धानुसार वस्त्र, अन्न या दक्षिणा दान करें और उनको भोजन कराएं। वहीं सात्विक भोजन से ही व्रत का समापन करें। द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले व्रत का पारण कर लें।
मंत्र
ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु ।
यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्”।।
वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी |
पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ।।
एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम |
य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।।
ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||