हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष की पूर्णिमा काफी शुभ मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश के संयुक्त अवतार भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। इसलिए यह दिन बेहद खास माना जाता है। दत्तात्रेय जयंती भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति, शांति और ज्ञान की प्राप्ति का अवसर देती है। इस पर्व को दत्त जयंती के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि भगवान दत्तात्रेय की पूजा से त्रिदेवों की पूजा के बराबर का फल प्राप्त किया जा सकता है।
तिथि और मुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक 04 दिसंबर की सुबह 08:37 मिनट से मार्गशीर्ष पूर्णिमा की शुरूआत होगी। वहीं अगले दिन यानी की 05 दिसंबर 2025 की सुबह 04:43 मिनट पर इस तिथि की समाप्ति होगी। उदयातिथि के हिसाब से 04 दिसंबर 2025 को दत्तात्रेय जयंती मनाई जाएगी।
कौन हैं भगवान दत्तात्रेय
धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक भगवान दत्तात्रेय त्रिदेव यानी की ब्रह्माजी, भगवान विष्णु और भगवान शिव का संयुक्त स्वरूप हैं। उनकी शिक्षाएं हमें सरल जीवन, ध्यान, संयम और आत्मज्ञान का संदेश देती हैं। पुराणों में दत्तात्रेय के 24 गुरुओं का भी उल्लेख मिलता है, जिनसे भगवान दत्तात्रेय ने जीवन जीने की महत्वपूर्ण सीखें प्राप्त की थीं। भक्तों का मानना है कि दत्तात्रेय की कृपा से सफलता, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।
महत्व
इस दिन भगवान दत्तात्रेय की पूजा करने से एक साथ त्रिदेव की पूजा के बराबर पुण्य फल मिलता है। इस दिन भगवान व्रत करते हैं और मंत्र का जाप करते हैं।