हिंदू धर्म में आषाढ़ माह की दर्श अमावस्या का विशेष महत्व होता है। हर महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को दर्श अमावस्या मनाई जाती है। लेकिन आषाढ़ माह की अमावस्या को विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। इस दिन को दर्श इसलिए भी कहा जाता है, क्योंकि इस तिथि पर चंद्रमा पूरी तरह से अदृश्य होता है। धार्मिक मान्यता है कि दर्श अमावस्या के दिन पितरों की आत्माएं धरती पर आती हैं। इसलिए दर्श अमावस्या पर पिंडदान, तर्पण और जलदान जैसे कर्म किए जाते हैं, जिससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। तर्पण और पिंडदान करने से पितर संतुष्ट होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। इस बार 25 जून 2025 को दर्श अमावस्या मनाई जा रही है।
दर्श अमावस्या
हिंदू पंचांग के मुताबिक 24 जून 2025 की शाम 06:59 मिनट से आषाढ़ माह की अमावस्या तिथि की शुरूआत हो गई है। वहीं आज यानी की 25 जून की शाम 04:00 बजे यह तिथि समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, 25 जून 2025 को आषाढ़ अमावस्या मनाई जा रही है।
तर्पण विधि
इस दिन सुबह जल्दी किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। यदि नदी में स्नान करना संभव न हो, तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
फिर तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें काले तिल, जौ और गंगाजल मिलाएं। वहीं पूजा के लिए कुशा की घास रखें, जिसको अंगूठी की तरह अनामिका उंगली में धारण किया जाता है।
दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें, क्योंकि यह पितृ की दिशा मानी जाती है और शांत व शुद्ध स्थान पर आसन बिछाएं।
फिर हाथ में जल, तिल और कुश लेकर पितरों का स्मरण करते हुए तर्पण का संकल्प लें। अब जल को अंगूठे और तर्जनी के बीच धीरे-धीरे धरती पर छोड़ें। यह प्रकिया पितृ तर्पण प्रक्रिया कहलाती है।
अगर आपको अपने पितरों का नाम याद है, तो उनका नाम लेकर तीन बार अंजलि दें। वहीं अगर आपको नाम नहीं याद है, तो 'ॐ सर्व पितृ देवाय नमः' या 'समस्त पितृभ्यो नमः' और 'पितृभ्यो तर्पयामि' मंत्र का उच्चारण करें।
अगर आप पिंडदान करना चाहते हैं, तो जौ का आटा, तिल और चावल मिलाकर पिंड बनाएं और इस पिंड को पितरों के निमित्त अर्पित करें।
पितरों का तर्पण करने के बाद दीपक जलाकर पितरों के नाम से अर्पित करें।
इस दिन सात्विक भोजन बनाएं और थोड़ा भोजन कुत्ते, गाय, कौवे और चीटिंयों के लिए निकालें। इसको पितृ तर्पण का अंश माना जाता है।
वहीं जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं। अन्न, वस्त्र, काले तिल, जौ या धन का दान करें।
महत्व
पितरों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद के लिए दर्श अमावस्या का दिन बेहद पवित्र माना जाता है। इस दिन तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन कराने से पितर तृप्त होते हैं और उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है। जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है, उनके लिए दर्श अमावस्या पर किया गया श्राद्ध और तर्पण विशेष रूप से फलदायी होता है।