शारदीय नवरात्रि के दौरान चार दिनों तक सरस्वती पूजन किया जाता है। मुख्य रूप से यह पूजा दक्षिण भारतीय राज्यों तमिलनाडु और केरल में की जाती है। लेकिन अब कई उत्तर भारतीय लोग भी यह पूजा करने लगे हैं। सरस्वती पूजा की शुरूआत नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर होता है और वहीं नवरात्रि की नवमी तिथि या फिर विजयादशमी पर सरस्वती विसर्जन किया जाता है। इस बार 02 अक्तूबर को सरस्वरी विसर्जन किया जा रहा है। तो आइए जानते हैं कि सरस्वती विसर्जन कब है और विसर्जन का शुभ मुहूर्त कब रहेगा।
शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक इस बार 02 अक्तूबर 2025 को सरस्वती विसर्जन किया जाएगा। इस दिन श्रवण नक्षत्र में सरस्वती विसर्जन किया जाना शुभ होगा। नक्षत्र विसर्जन का शुभ मुहूर्त सुबह 09:13 मिनट से लेकर दोपहर 03:19 मिनट तक है। यानी की 6 घंटे 6 मिनट की अवधि सरस्वती विसर्जन के लिए शुभ माना जा रहा है।
पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि करने के बाद साफ कपड़े पहनें। फिर मां सरस्वती की प्रतिमा को पूजा स्थल पर स्थापित करें। अब मां सरस्वती की विधिविधान से पूजा शुरू करें और पूजा के दौरान धूप-दीप जलाएं। फिर मां को फल, फूल और मिठाई आदि अर्पित करें। इस दिन मां सरस्वती को साबूदाना की खीर भोग में लगाएं। पूजा के दौरान मां की आरती करें और मंत्रों का जाप कतरें। आप माता के मंत्र 'ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः' का 108 बार जाप करें। इससे जातक को ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है। फिर शुभ मुहूर्त में सरस्वती माता की मूर्ति का विसर्जन करना चाहिए।
महत्व
मां सरस्वती की विधिविधान से पूजा करने के बाद विजयादशमी के दिन विसर्जन करने से माता सरस्वती का आशीर्वाद भक्तों पर बरसता है। मां की पूजा करने से ज्ञान और बुद्धि का विकास होता है। साथ ही कला के क्षेत्रों में शुभ फल की प्राप्ति होती है।