हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को लाभ पंचमी का व्रत किया जा रहा है। इस बार यानी की 26 अक्तूबर 2025 को लाभ पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। इसको सौभाग्य पंचमी या ज्ञान पंचमी के नाम से भी जानी जाती है। यह पर्व दीपावली उत्सव का समापन करता है और नए व्यवसाय शुरू करने या फिर नए खाते खोलने के लिए बेहद शुभ दिन माना जाता है। इस दिन व्यापारी और कारोबारी लाभ पंचमी पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं। वहीं जैन धर्म के लोग अपने ज्ञान और ग्रंथों की पूजा करते हैं। लाभ पंचमी के दिन पीतल या चांदी का कछुआ खरीदना शुभ माना जाता है। तो आइए जानते हैं लाभ पंचमी का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में...
शुभ मुहूर्त
इस दिन पूजा करने का सबसे अच्छा समय पंचमी बेला मानी जाती है। जोकि सुबह के समय पड़ती है। इस समय में व्यापारी अपने बही-खातों की पूजा करता है और नए काम की शुरूआत करते हैं। लाभ पंचमी के दिन घरों में इस समय पूजा करना शुभ माना जाता है। पंचमी बेला का शुभ मुहूर्त 26 अक्तूबर की सुबह 06:29 मिनट से शुरू होकर 10:13 मिनट तक रहेगा। ऐसे में लाभ पंचमी की कुल अवधि करीब 3 घंटे 44 मिनट का समय मिलेगा।
क्यों मनाई जाती है लाभ पंचमी
बता दें कि लाभ पंचमी इसलिए मनाई जाती है, क्योंकि यह दिन दीवाली उत्सव का समापन होता है और नए व्यवसाय को शुरू करने और समद्धि व लाभ की कामना के लिए शुभ माना जाता है। लाभ पंचमी के दिन पूजा से व्यापार में उन्नति, सौभाग्य और घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। इस दिन लोग शुभ-लाभ का चिन्ह बनाते हैं और कई लोग इस दिन व्रत भी करते हैं।
पूजन विधि
इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। फिर शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश, भगवान शिव और मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद गणेश जी को चंदन, सिंदूर, दूर्वा, फूल और मोदक आदि अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव को जल, कच्चा दूध, बेलपत्र, भस्म और धतूरा अर्पित करें। मां लक्ष्मी को लाल वस्त्र, लाल फूल, इत्र, सिंदूर और हल्दी चढ़ाएं। फिर मां लक्ष्मी को सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं। वहीं पूजा के समय मंत्रों का जाप करें और मां लक्ष्मी की आरती करें।