हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। हर साल नवरात्रि का पर्व साल में 4 बार मनाया जाता है। जिनमें से दो प्रमुख नवरात्रि चैत्र और शारदीय हैं। जिनको बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं दो गुप्त नवरात्रि होती हैं। गुप्त नवरात्रि का महत्व विशेष इच्छाओं की पूर्ति और गुप्त सिद्धियों के लिए होता है। वहीं आषाढ़ नवरात्रि की पूजा गोपनीय तरीके से की जाती है। आषाढ़ माह में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि इन्हीं में से एक है। तो आइए जानते हैं आषाढ़ नवरात्रि पर मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व के बारे में...
गुप्त नवरात्रि की शुरूआत
बता दें कि आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की शुरूआत 26 जून 2025 से हो रही है। इसकी समाप्ति 04 जुलाई 2025 को होगी। इस बार गुप्त नवरात्रि पूरे 9 दिनों तक है। वहीं घटस्थापना का मुहूर्त 26 जून की सुबह 05: 25 से 06:58 तक है। वहीं अभिजीत मुहूर्त 11:56 से 12:52 मिनट तक रहेगा।
शुभ मुहू्र्त
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त- सुबह 05:28 मिनट से सुबह 07:10 मिनट तक।
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:58 मिनट से दोपहर 12:54 मिनट तक
महत्व
आषाढ़ माह के गुप्त नवरात्रि के 9 दिनों में दस महाविद्याओं की पूजा-अर्चना की जाती है। यह दस महाविद्याएं मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी हैं। इन दस महाविद्याओं की उपासना से जातक को विशेष सिद्धियां प्राप्त होती हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। बता दें कि आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में पूजा करने से ग्रह बाधाएं, नजर दोष, कुंडली के सभी प्रकार के दोष और तंत्र बाधाएं दूर होती हैं।