महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होकर आश्विन माह की माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तक चलता है। यह व्रत विशेष रूप से मां लक्ष्मी को समर्पित है। महालक्ष्मी व्रत 16 दिनों तक चलता है और इस दौरान भक्त मां लक्ष्मी की पूजा-आराधना कर सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हैं। इसको गज लक्ष्मी व्रत के नाम से जाना जाता है। क्योंकि इस पूजा में मां लक्ष्मी को गज पर विराजमान कर पूजन किया जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं और मां लक्ष्मी की कृपा और आशीर्वाद बना रहता है। महालक्ष्मी व्रत न सिर्फ आध्यात्मिक बल्कि पारिवारिक और आर्थिक समृद्धि के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
अंतिम महालक्ष्मी व्रत
दृक पंचांग के मुताबिक इस साल आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरूआत 14 सितंबर की सुबह 05:04 मिनट पर हो रहा है। वहीं अगले दिन यानी की 15 सितंबर की सुबह 03:06 तक मान्य रहेगी। ऐसे में उदयातिथि के हिसाब से अंतिम महालक्ष्मी व्रत 14 सितंबर 2025 को किया जा रहा है।
पूजन विधि
मां लक्ष्मी की पूजा करने के लिए सबसे पहले पूजा स्थल पर हल्दी से कमल का चित्र बनाएं। अब इस पर मां लक्ष्मी की गज पर बैठी मूर्ति स्थापित करें। वहीं पूजा में श्रीयंत्र जरूर रखें। क्योंकि यह यंत्र मां लक्ष्मी को अतिप्रिय है।
इसके साथ ही सोने-चांदी के सिक्के, फूल, ताजे फल और मां के श्रृंगार का सामान रखें। फिर एक साफ और स्वच्छ कलश में पानी भरकर उसको पूजा स्थल पर रखें और कलश में पान का पत्ता डालें और इसके ऊपर नारियल रखें। इसके बाद फल, फूल और अक्षत से मां लक्ष्मी की पूजा करें। वहीं पूजा के अंत में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का उद्यापन करें।