हस्तरेखा शास्त्र के मुताबिक आपका हाथ भविष्य को निर्धारित करता है। वहीं हाथ में कुछ रेखाएं भाग्यशाली मानी जाती हैं, तो वहीं कुछ रेखाएं अशुभ मानी जाती है। माना जाता है कि व्यक्ति की किस्मत उसकी हथेली में होती है। हाथ की रेखाओं से ही जातक के भविष्य के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। हाथों में ग्रहों से जुड़े 9 पर्व हैं और यह 9 ग्रह शनि, बृहस्पति, सूर्य, बुध, चंद्रमा, मंगल, शुक्र, राहु और केतु। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि हथेली पर किस स्थान पर यह नवग्रह रहते हैं।
नवग्रह का स्थान
तर्जनी उंगली को हाथ की प्रथम उंगली भी कहते हैं, इसके नीचे के स्थान को गुरु पर्वत कहा जाता है। गुरु ग्रह को बलवान करने के लिए इस उंगली में सोने की अंगूठी में पुखराज धारण किया जा सकता है।
मध्यमा उंगली के नीचे के पर्वत को शनि पर्वत कहा जाता है। शनि की स्थिति कमजोर होने पर मध्यमा उंगली में लोहे का छल्ला पहना जा सकता है।
हाथ की तीसरी उंगली को अनामिका उंगली कहा जाता है। अनामिका उंगली के नीचे पर्व को सूर्य पर्वत कहा जाता है।
हथेली की चौथी उंगली को कनिष्ठिका उंगली कहा जाता है। इसके नीचे वाले पर्वत को बुध पर्वत कहा जाता है।
अंगूठे के तीसरे पोर और जीवन रेखा के भीतर उभरे हुए स्थान को शुक्र पर्वत कहा जाता है।
मणिबंध रेखाओं के ऊपर और जीवन रेखा के उस तरफ शुक्र पर्वत के सामने चंद्र पर्वत कहा जाता है।
गुरु और शुक्र पर्वत के बीच के क्षेत्र को मंगल पर्वत कहा जाता है।
चंद्र पर्वत और बुध पर्वत के बीच के क्षेत्र को केतु पर्वत कहा जाता है।
केतु का दूसरा सिरा राहु होता है। हथेली में केतु पर्वत के सामने के क्षेत्र में जिसको हथेली का गड्ढा भी बोला जाता है, वह राहु पर्वत कहा जाता है। राहु पर्वत सूर्य और शनि पर्वत के नीचे होता है।
मिलते हैं ये लाभ
अगर आपके हाथ में कोई भी पर्वत न हो, तो उस जातक में उस ग्रह के विशेष गुणों का अभाव पाया जाता है। वहीं पर्वत अगर उठा है, तो व्यक्ति में उस ग्रह के गुण सामान्य रूप से पाए जाते हैं।