अंक ज्योतिष में व्यक्ति से जुड़े नंबर से उनके भविष्य, स्वभाव, स्वास्थ्य और करियर आदि के बारे में पता लगाया जा सकता है। वहीं अंक ज्योतिष के जरिए आप व्यक्ति की पर्सनैलिटी के बारे में भी जाना जा सकता है। अंक ज्योतिष के मुताबिक जिन लोगों का मूलांक 1 होता है, यानी कि जिन लोगों का जन्म किसी भी महीने की 1, 10, 19 और 28 तारीख को होता है, तो उनका मूलांक 1 होता है। आमतौर पर मूलांक 1 वाले जातक मजबूत व्यक्तित्व वाले और नेतृत्व क्षमता से भरपूर होते हैं। वहीं जब बात जीवनसाथी की आती है, तो इनके अंदर कुछ खास गुण और स्वभाव देखने को मिलता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि मूलांक 1 वाले जातक कैसे जीवनसाथी साबित होते हैं।
जानिए कैसे होते हैं अंक 1 वाले लोग
1 अंक वाले जातक स्वभाव से आत्मविश्वासी और स्वतंत्र विचारों वाले माने जाते हैं। यह जातक अपना निर्णय लेना खुद पसंद करते हैं। इन लोगों को दूसरों पर निर्भर रहना पसंद नहीं आता है। यह जीवनसाथी के रूप में मजबूत इरादों वाले औऱ अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित होते हैं। यह अपने साथी से भी ऐसी अपेक्षा रखते हैं कि वह भी आत्मनिर्भर हों और अपने विचारों को मजबूती से सामने रखें। कभी-कभी उनका आत्मविश्वास अहंकार या प्रभुत्व की भावना में बदल जाता है। जिसके कारण रिश्ते में टकराव आ सकता है।
इन जातकों में आगे बढ़ने और कुछ बड़ा हासिल करने की इच्छा होती है। यह अपने व्यक्तिगत विकास और करियर को लेकर महत्वकांक्षी होते हैं। ऐसे जातक हमेशा नए अवसरों की तलाश में रहते हैं। जीवनासाथी के रूप में यह अपने साथी के सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करने के साथ ही उनका समर्थन भी करते हैं। यह लोग ऐसे जीवनसाथी की तलाश में रहते हैं, जो उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकें।
1 अंक वाले लोग रचनात्मक और नए विचारों से भरपूर होते हैं। यह जीवन को नए उत्साह और जोश के साथ जीते हैं। इनको अपने आसपास खुशनुमा माहौल पसंद होता है। जीवनसाथी के रूप में यह अपने रिश्ते में रोमांच और नवीनता लाने की कोशिश करते हैं। यह अपने साथी के तौर पर नई चीजें करना, जीवन के हर पर का आनंद लेना और घूमना-फिरना पसंद होता है। यह उत्साही स्वभाव के होते हैं और अपने रिश्ते को नीरस होने से बचाते हैं।
अंक 1 वाले लोगों में कई सकारात्मक गुण होते हैं, तो वहीं कुछ नकारात्मक पहलू भी देखने को मिलते हैं। इन जातकों का आत्मविश्वास कभी-कभी प्रभुत्व की भावना में बदल जाता है। ऐसे में यह रिश्ते में अपनी मर्जी चलाने की कोशिश करने लगते हैं। हालांकि इनकी राय दृढ़ होती है और यह आसानी से दूसरों की बात नहीं मानते हैं। जिसके कारण जीवनसाथी के साथ इनका मतभेद हो सकता है। इसलिए इनको यह समझना चाहिए कि किसी भी रिश्ते में दोनों साथियों की भावनाओं और राय का सम्मान करना जरूरी होता है।
इन लोगों के साथ सफल रिश्ता बनाने के लिए और खुली व ईमानदार बातचीत बेहद जरूरी है। इनके साथी को स्वतंत्र और महत्वकांक्षाओं का सम्मान करना चाहिए। हालांकि अपनी भावनाओं और जरूरतों को भी स्पष्ट रूप से बताना चाहिए। साथ ही उनको यह महसूस कराना चाहिए कि रिश्ते में दोनों बराबर हैं और दोनों की राय मायने रखती है।