रत्नशास्त्र में कई प्रकार के रत्नों का वर्णन है। इन रत्नों को ज्योतिषविद्या में विशेष महत्व दिया गया है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मनुष्य का शरीर कई धातुओं को मिलाकर बना है। इसी कारण ये धातुएं और रत्न हमारे जीवन और स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव डालते हैं। रत्नशास्त्र के मुताबिक ये रत्न कई प्रकार के रोगों से बचाव करने में प्रभावशाली होते हैं। इसके अनुसार रोग से संबंधित रत्न पहनने से उस रोग का उपचार किया जा सकता है। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि किस रोग में कौन सा रत्न पहनने से लाभ होता है।
माणिक
रत्नशास्त्र के अनुसार माणिक रत्न को सूर्य का रत्न माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति को हृदय रोग और लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो तो उसे माणिक धारण करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा यह रत्न नेत्र संबंधी रोगों के लिए भी लाभकारी होता है।
मोती
ज्योतिषशास्त्र में चंद्रमा का रत्न मोती माना गया है। यह रत्न मानसिक रोगों में बहुत लाभदायक होता है। जिन लोगों को बहुत ज्यादा तनाव रहता है उन्हें मोती धारण करने से लाभ होता है। इसके अलावा डिप्रेशन, शीत, कफ में भी मोती पहनना अत्यंत गुणकारी होता है।
मूंगा
मंगल रत्न किडनी रोग, पीलिया रोग या गर्भधारण से जुड़ी समस्याओं के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यदि किसी का ऑपरेशन हुआ हो या एक्सीडेंट हुआ हो तो मूंगा धारण करना लाभकारी होता है। यह रत्न व्यक्ति में ऊर्जा का संचार करता है। बच्चों को मूंगा पहनाने से बालारिष्ठ रोग से बचाव होता है।
पन्ना
रत्नशास्त्र के अनुसार पन्ना बुद्ध का रत्न माना गया है। त्वचा संबंधित रोगों में पन्ना धारण करना बहुत लाभदायक होता है। पन्ना धारण करने से लीवर और किडनी संबंधित रोगों में भी फायदा होता है। यह रत्न दमा, खांसी, और श्वास के रोगों में भी उपयोगी होता है।
पुखराज
गुरु रत्न पुखराज धारण करने से मोटापे, ब्लड प्रेश और अल्सर की समस्या में लाभ मिलता है। इसके अलावा गैस्टिक रोग या तिल्ली रोग में भी पुखराजधारण करना उपयोगी होता है।
हीरा
हीरा शुक्र का रत्न है। हीरा पहनने से एनीमिया यानी शरीर में रक्त की कमी की शिकायत दूर होती है। इसके अलावा पन्ना धारण करने से मोतियाबिंद, मधुमेह, नपुंसकता, श्वेतप्रदर और मूत्रविकार जैसे रोगों से बचाव होता है।
नीलम
रत्नशास्त्र में नीलम को शनि का रत्न माना गया है। यह शनि का रत्न होने के कारण अच्छे-बुरे प्रभावों को बहुत तीव्रता से प्रकट करता है। कभी भी किसी ज्योतिषी की सलाह के बिना यह रत्न धारण नहीं करना चाहिए अन्यथा इसका दुष्प्रभाव भी हो सकता है। मिर्गी, ज्वर, गठिया, बवासीर और वायुविकार की समस्या में नीलम धारण करना लाभकारी होता है।
गोमेद
रत्नशास्त्र में राहु का रत्न गोमेद माना गया है। यह रत्न धारण करने से पेट और पाचन संबंधी रोगों में लाभ मिलता है। इसके अलावा सर्दी, कफ तथा पित्त रोग में भी गोमेद धारण करना लाभकारी होता है।
लहसुनिया
केतु रत्न लहसुनिया सर्दी, खांसी और एनीमिया के रोगों में उपयोगी होता है। इसके अलावा नपुंसकता की समस्या में भी लहसुनिया धारण करने से लाभ होता है।