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क्या है पुखराज की विशेषता और किन लोगों को धारण करना चाहिए यह रत्न

By Astro panchang | May 03, 2020

पुखराज चिकना, चमकदार, पानीदार, पारदर्शी एवं व्यवस्थित किनारे वाला रत्न होता है। इसमे एल्युमिनियम और फ्लोरीन सहित सिलिकेट खनिज होता है। यह पीले रंग का एक बहुत मूल्यवान रत्न है जिसकी कार्य क्षमता कई गुना प्रचलित है। ज्योतिष की मानें तो पुखराज धारण करने से विशेषकर आर्थिक परेशानियां कम हो जाती हैं। यह रत्न बृहस्पति ग्रह से संबंधित रत्न होता है। बृहस्पति जो ज्ञान, भाग्य, समृद्धि और खुशी का प्रतीक होते हैं। यह समान्यतः सिलिकेट वर्ग खनिज में आता हैं। इसकी चमक कांच जैसी होती है। इस रत्न को संस्कृत में पुष्पराग तथा हिन्दी में पुखराज कहते है। यह गुरु ग्रह के प्रभाव को बढ़ाने वाला होता है। यह रत्न धनु राशि एवं मीन राशि वालों का प्रतिनिधित्व करता है। इसके पहनने से ज्ञान में वृद्धि होती है।

पुखराज धारण करने के लाभ

पुखराज पहनने से धन और भाग्य की प्राप्ति होती है क्योंकि यह रत्न बृहस्पति ग्रह का रत्न होता है।
इस रत्न से वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, कुंभ राशि व लग्न वाले लोगों को बचना चाहिए और कुण्डली में बृहस्पति ग्रह की स्थिति देखकर धारण करना चाहिए।
यह रत्न उन कन्याओं को धारण करना चाहिए जिनके विवाह में देरी हो रही हो।
पुखराज धनु राशि वालों के लिए बहुत ही लाभकारी होता है।
पुखराज को ऐसे व्यक्ति धारण कर सकते हैं जिनका पाचन तंत्र कमजोर हो और अक्सर पेट की बीमारी होती हो।
यह उन  लोगों के लिए लाभकारी होता है जो लोग धार्मिक और  आध्यात्मिक कामो में  से जुड़े  हुए है।
पुखराज रत्न में  कानूनी पेशे में लगें लोगों के लिए बहुत लाभदायक है ।
यह रत्न उच्च शैक्षणिक गतिविधियों में शामिल लोगों के लिए लाभकारी रत्न होता है।
इस रत्न के धारण से बेहतर निर्णय लेने की क्षमता मिलती हैं।
यह रत्न प्रशासनिक सेवाओं से जुडे़ लोगों के लिए बहुत लाभकारी होता हैं ।
यह रत्न पुत्र की लालसा रखने वाले लोगों के लिए भी बहुत लाभकारी होता हैं ।

पुखराज धारण करने  की विधि-

पुखराज रत्न को धारण से पहले इसके विधि को जानना चाहिए, सबसे पहले 3 से 4 कैरेट सोने या चांदी में इसे जड़वा कर किसी भी शुक्ल पक्ष में बृहस्पतिवार को सूर्योदय होने के पूर्व इसकी प्रतिष्ठा करवाकर धारण करें।

इसके लिए सबसे पहले आप अंगुठी को गंगाजल, दूध, शहद, तुलसी और शक्कर के घोल में डाल दें, फिर 11 या 5 अगरबत्ती ब्रहस्पतिदेव के नाम जलाएं और प्रार्थना करें कि हे बृहस्पतिदेव! मै आपके आशीर्वाद प्राप्ती हेतु आपका रत्न पुखराज धारण कर रहा/रहीं हूँ। कृपया करके मुझे अपना आशीर्वाद प्रदान कर।

इसके बाद आप अंगूठी को निकाले और 108 बार अगरबत्ती के ऊपर घुमाते हुए 'ॐ ब्रह्म बृह्स्पतिये नम:' का जाप करें फिर अंगूठी को विष्णु भगवान जी के चरणों से स्पर्श कराए और तर्जनी (अंगूठे की बगल वाली) में धारण करें।

पुखराज धारण करने से हो सकती हैं हानियां-
पुखराज धारण करने से व्यक्ति को अहंकारी होने की आशंका बढ़ जाती है।
मोटापा बढ़ने की संभावना पनपने लगती है।
पेट खराब जैसी बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं।
व्यक्ति का जीवन निरसता की ओर बढ़ने की संभावना होती है।
हाइपर एसिडिटी की आशंका बनी रहती है।
इन बातों का रखे मुख्य तौर पर ध्यान।
इसे धारण करने से पहले हमें अवश्य ही किसी अनुभवी ज्योतिषी की सलाह लेनी चाहिए।
लोगों की यह धारणा होती है कि रत्न पहनने से लाभ और सौभाग्य में वृद्धि होती है लेकिन धोखे से या चुराए रत्न को धारण करने से बहुत कष्ट का सामना करना पड़ता है।
बिना सोचे समझे और इसके बारे में सही जानकारी ना प्राप्त होने पर रत्नों का धारण करना बहुत ही हानिकारक हो सकता है ऐसा करने से रत्न का उल्टा असर पड़ जाता है।
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